2015-05-22 12:00:00

ओडिशाः खनन, आप्रवास पर कलीसिया में चर्चा


ओडिशा, शुक्रवार, 22 मई 2015 (ऊका समाचार): ओडिशा के वरिष्ठ ख्रीस्तीय नेताओं का कहना है कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में खनन एवं उससे सम्बन्धित उद्योगों से अधिकाधिक लोग विस्थापित हो रहे हैं जिससे निर्धनता और आप्रवास को प्रश्रय मिल रहा है। 

सम्बलपुर के धर्माध्यक्ष निरंजन स्वाल सिंह ने कहा कि कलीसिया के लिये इस स्थिति का अध्ययन अत्यधिक महत्वपूर्ण है ताकि "समाज में शांति, न्याय एवं मानव मर्यादा को स्थापित किया जा सके"।  

19 एवं 20 मई को ओडिशा के झरसुगुड़ा शहर में भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के न्याय एवं शांति कार्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय विचार गोष्ठी का उदघाटन करते हुए धर्माध्यक्ष निरंजन सिंह ने यह बात कही।

उन्होंने कहा, "विकास के लिये उद्योगपति आदिवासी क्षेत्रों की तलाश में रहते हैं। उद्योगपति ही जनजातियों के विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं।"

उन्होंने कहा, "भारी खनन मनुष्यों, पशुओं एवं पेड़-पौधों को क्षति पहुँचाता है। इसके अतिरिक्त, द्रुतगामी खनन से पर्यावरण दूषित होता तथा प्रदूषण फैलता है।" उन्होंने स्मरण दिलाया कि आदिवासी लोग अपनी जीविका के लिये पूर्णतः भूमि पर निर्भर रहते हैं।

उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश, भारी खनन ने आदिवासियों एवं दलितों के समक्ष बड़ी-बड़ी चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। इस स्थिति को बदलने के लिये कलीसिया में दृढ़ संकल्प एवं प्रेरणा की ज़रूरत है क्योंकि कलीसिया को परिवर्तन का एजेन्ट होना चाहिये।" 

दो दिवसीय विचार-विमर्श में इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि विकास के नाम पर होनेवाले विस्थापन से आदिवासी लोगों की संस्कृति, इतिहास एवं पहचान शोषित होती है तथा गुम हो जाती है, इस प्रवृत्ति को समाप्त किया जाना अनिवार्य है।      








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