2015-05-12 11:59:00

वाटिकन सिटीः क्षमा, सम्मान व न्याय से सम्भव शांति निर्माण, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 12 मई 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि क्षमा, सम्मान एवं न्याय से शांति निर्माण होता है जिसके लिये कठिन परिश्रम की आवश्यकता रहा करती है। 

वाटिकन के सन्त पापा पौल षष्टम भवन में सोमवार 11 मई को "द पीस फैक्टरी" नामक संगठन से जुड़े इटली के स्कूली छात्रों, अध्यापकों एवं अभिभावकों ने सन्त पापा फ्राँसिस के दर्शन कर उनका सन्देश सुना।

सन्त पापा ने कहा कि ग़लती करनेवालों का खण्डन करना सरल है किन्तु उनका सुधार सरल कार्य नहीं है। उन्होंने कहाः "मदद करने के बजाय कारावासों को भरना हमें सरल लगता है जबकि क़ैदियों और, विशेष रूप से, युवा क़ैदियों को यह सिखाना अनिवार्य है कि जीवन को बेहतर बनाने के लिये उचित चयन कैसे किया जाये।"

इताली शिक्षा मंत्रालय एवं इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के समर्थन से इटली में "द पीस फैक्टरी" नामक संगठन की स्थापना हुई है। इसका मूल उद्देश्य विभिन्न जाति, धर्म व नस्ल के लोगों, निर्धनों, आप्रवासियों, विकलांगो व अलग प्रकार से सक्षम लोगों के विरुद्ध हर प्रकार के भेदभावों एवं बहिष्कार को समाप्त कर शांति एवं सहिष्णुता को प्रोत्साहित करना है।

सन्त पापा से साक्षात्कार के अवसर पर बच्चों ने उनसे कुछेक प्रश्न भी किये जिनमें से प्रमुख थे, बच्चे क्यों पीड़ित रहते हैं? क्यों कुछ शक्तिशाली नेता शांति के बजाय युद्ध का चयन करते हैं? क्या सन्त पापा ने किसी से कभी झगड़ा किया था? क्या सन्त पापा को अपने व्यस्त दिन में कभी शांति और एकान्त की ज़रूरत महसूस हुई? और फिर यदि कोई पागल रहना चाहे और आपके साथ शांति और मेलमिलाप न करना चाहे तो आप क्या करेंगे?

इस अन्तिम प्रश्न के उत्तर में सन्त पापा ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में यही उत्तम होगा कि हम उस व्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करें। उन्होंने कहा: "आप मेरे साथ शांति और मेलमिलाप नहीं चाहते। मैंने पूरी कोशिश की, हर सम्भव प्रयास किया किन्तु मैं आपके चयन का सम्मान करता हूँ। हमें सम्मान करना सीखना होगा। उस व्यक्ति के लिये हमें प्रार्थना करनी चाहिये तथा कभी भी बदला लेने की नहीं सोचना चाहिये।"

सन्त पापा ने उन लोगों की कड़ी निन्दा की जो विश्व में व्याप्त युद्धों से धन कमाते हैं। उन्होंने कहाः "कई लोग शस्त्रों के उद्योग पर जीते हैं तथा युद्धों के लिये शस्त्रों की आपूर्ति करते हैं। मृत्यु का यह लाभकर उद्योग लोगों के लोभ और लालच से चलता है जो अत्यन्त ख़तरनाक है।"








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