2015-04-30 16:06:00

संत पापा ने अंग्रेज़ी-रोमन कैथोलिक अंतरराष्ट्रीय आयोग से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 30 अप्रैल 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 30 अप्रैल को रोम में, विश्वव्यापी कलीसिया एवं स्थानीय कलीसिया के बीच संबंधों, विशेषकर नैतिक और नीति परक सवालों पर विचार-विमर्श तथा निर्णय कर रही अंग्रेज़ी-रोमन कैथोलिक अंतरराष्ट्रीय आयोग के 20 सदस्यों से मुलाकात की।

उन्हें सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, ″आपकी वार्ता संत पापा पौल षष्ठम एवं महाधर्माध्यक्ष रामसे के बीच सन् 1966 ई. में सम्पन्न ऐतिहासिक मिलन का परिणाम है जिसने प्रथम अंग्रेज़ी-रोमन कैथोलिक अंतरराष्ट्रीय आयोग को जन्म दिया था। उस अवसर पर दोनों ने आशा के साथ प्रार्थना अर्पित की थी कि सुसमाचार तथा प्राचीन आम परम्परा उस एकता की सच्चाई की ओर अग्रसर करेगा जिसके लिए येसु ने खुद प्रार्थना की थी।″

संत पापा ने कहा कि हम उस लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाये हैं किन्तु हमें पूर्ण विश्वास है कि नई कठिनाईयों और चुनौतियों के बावजूद पवित्र आत्मा उस दिशा में हमारा मार्ग दर्शन करेगा।

उन्होंने कहा कि आज उनकी यह उपस्थिति, अंगलिकन एवं काथलिकों के बीच विश्वास और इतिहास की आम परम्परा की, पूर्ण ऐक्य में बाधा से उपर उठने के प्रयास को, प्रोत्साहन एवं दृढ़ता प्रदान करने का परिचायक है।

संत पापा ने संयुक्त रूप से सहमत टिप्पणियों और प्रतिक्रियाओं के साथ अंगरेज़ी-रोमन कैथोलिक वार्ता के दूसरे चरण के बयान की प्रकाशना पर उन्हें बधाई दी तथा कहा कि ख्रीस्तीय एकता वर्धक वार्ता कलीसिया के जीवन में गौण तत्व नहीं हैं। एकता को वैकल्पिक उपक्रम नहीं मानना चाहिए तथा एक-दूसरे से अलग करने वाली चीजों को अपरिहार्य रूप से नहीं देखा जाना चाहिए। संत पापा ने कहा कि चुनौतियों के बावजूद हमें आशा बनाये रखना चाहिए कि पवित्र आत्मा हर घाव को चंगा करता तथा मन-परिवर्तन कराता है। वह किसी भी असम्भव कार्य को सम्भव कर देता है।

संत पापा ने तीसरे बिन्दु के रूप में कहा कि हमारे बीच एक मजबूत बंधन है जो सभी विभाजनों से ऊपर है और वह है विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के विश्वास का साक्ष्य। विश्वास के कारण अत्याचार और हिंसा के शिकार शहीदों के खून से नवीन युग में ख्रीस्तीय एकता वर्धक समर्पण को बल मिलेगा जो कि ख्रीस्त की अंतिम इच्छा है। इन भाई बहनों का साक्ष्य हमें सुसमाचार की शिक्षा के अनुरूप जीने तथा कलीसिया में प्रभु की इच्छा पूरी करने की मांग करता है। आज दुनिया को आवश्यकता है न्याय और शांति को बढ़ावा देने हेतु जीवन और मानवीय गरिमा की रक्षा के लिए  ख्रीस्तीयों के हर्षित गवाह की।

 








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