2015-04-21 08:55:00

दासता एवं मानव तस्करी के अन्त हेतु बौद्ध एवं ईसाई साथ-साथ


वाटिकन सिटी, 21 अप्रैल सन् 2015 (सेदोक): वाटिकन ने वेसाख महापर्व के उपलक्ष्य में बौद्ध धर्म के लोगों के प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए दास प्रथा एवं मानव तस्करी के उन्मूलन हेतु सहयोग का आग्रह किया है।  

वाटिकन स्थित अन्तरधार्मिक परिसम्वाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद ने, सोमवार को, "दासता एवं मानव तस्करी के अन्त हेतु बौद्ध एवं ईसाई साथ-साथ" शीर्षक से एक सन्देश प्रकाशित कर विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों को दास प्रथा एवं मानव तस्करी के उन्मूलन में ईसाइयों के साथ सहयोग का आमंत्रण दिया।

इस वर्ष बौद्ध महापर्व "वेसाख" 03 मई को मनाया जा रहा है।

परिषद अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लूई तौराँ द्वारा हस्ताक्षरित सन्देश में कहा गया कि गौतम बुद्ध के जीवन की तीन महान घटनाएँ अर्थात्, जन्म, प्रबोधन एवं निधन, समाज के अभागों एवं प्रताड़ित लोगों पर चिन्तन का सुअवसर प्रदान करता तथा हम सबको दया एवं उदारता के कार्यों के लिये प्रेरित करता है।

अन्तरधार्मिक परिसम्वाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद का सन्देश इस प्रकार हैः    

प्रिय मित्रो,

  1. वेसाख महापर्व के उपलक्ष्य में, एक बार फिर, आपके प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करती  अन्तरधार्मिक परिसम्वाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद प्रसन्न है। गौतम बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं का हर्षित समारोह उनका जन्म, प्रबोधन एवं निधन हमें, सभी अभागों एवं प्रताड़ित लोगों पर चिन्तन का अवसर प्रदान करता तथा प्रेम एवं दया के कृत्यों द्वारा उन्हें सान्तवना और सुख प्रदान करने हेतु हमसे पुनःसमर्पण की मांग करता है।
  2. सन्त पापा फ्राँसिस के विश्व शांति सन्देश 2015 से प्रेरित होकर हम आपको यह लिख रहे हैं जिसका शीर्षक हैः "अब कोई गुलाम नहीं परन्तु भाई बहन"। सन्त पापा इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराते हैं कि, ऐतिहासिक रूप से, किसी युग में दास प्रथा आम तौर पर स्वीकार की जाती थी तथा इसका परिणाम "अन्यों का बहिष्कार, उनके विरुद्ध दुराचार, उनकी गरिमा एवं उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन तथा संस्थागत असमानता हुआ करता था" (अंक 2)। तदनुसार, "एक दास, खरीदा और बेचा जाता सकता था, किसी को दे दिया या किसी से प्राप्त किया जा सकता था, मानो वह एक वाणिज्यिक उत्पाद की वस्तु हो" (अंक 3)। सन्त पापा आगे ध्यान दिलाते हैं कि, हालांकि, दास प्रथा का, औपचारिक रूप से समस्त विश्व में उन्मूलन कर दिया गया है अभी भी, लाखों लोग जिनमें सभी उम्र के बच्चे, महिलाएँ एवं पुरुष शामिल हैं, आज भी ऐसे हैं जो स्वतंत्रता से वंचित है तथा दासों जैसे जीवन यापन करने को बाध्य हैं (अंक्र 3)।
  3. सन्त पापा फ्राँसिस आधुनिक दासता का उदाहरण देते हैः मज़दूर पुरुष, महिला और बच्चे; शर्मनाक परिस्थितियों में नौकरी के लिये बाध्य वे आप्रवासी जिन्हें शारीरिक, भावनात्मक एवं यौन प्रताड़ना सहनी पड़ती है; वे व्यक्ति जिन्हें वेश्यावृत्ति के लिये बाध्य किया जाता है, जिनमें अनेक नाबालिग हुआ करते हैं, और साथ ही पुरुष एवं महिला यौन दास; आतंकवादियों द्वारा बन्धक बनाये गये तथा लड़ाई के बाध्य किये जानेवाले व्यक्ति, और वे जिन्हें यातनाएं दी जाती हैं, विकलांग कर दिया जाता अथवा मार डाला जाता है। सन्त पापा के अनुसार, "भ्रष्टाचार और अज्ञान से विकृत मानव हृदय, मानवजाति के विरुद्ध इन भयंकर दुष्टताओं का कारण है। जब हृदय भ्रष्ट हो जाते हैं, तब मानव प्राणी अन्यों को समान प्रतिष्ठा वालों के सदृश नहीं देखते, वे उन्हें समान मानवता में भागीदार भाई अथवा बहन नहीं मानते अपितु वस्तु मात्र मान लेते हैं" (अंक 4)।
  4. प्रिय मित्रो, हम इस विश्वास को साझा करते हैं कि आधुनिक दासता एवं मानव तस्करी गम्भीर अपराध हैं, ये समसामयिक समाज पर खुले घाव हैं। "अष्टगुण पथ" के एक अनुभाग अर्थात् "सही आजीविका" में बुद्ध घोषित करते हैं कि गुलाम एवं वेश्याओं सहित, जीवित प्राणियों का व्यापार, ऐसे पांच व्यवसायों में से एक है जिसमें व्यक्ति को नहीं संलग्न नहीं रहना चाहिये (एएन 5.177)। इस प्रकार बौद्ध धर्म जीवन एवं प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करता है।
  5. मानव जीवन के प्रति सम्मान को समर्पित बौद्ध एवं ईसाई होने के नाते, इस सामाजिक महामारी को समाप्त करने हेतु, हमें एक साथ मिलकर सहयोग करना चाहिये। सन्त पापा हमें आमंत्रित करते हैं कि हम, प्रताड़ितों की सहायता कर, उनके मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक पुनर्वास हेतु कार्य करें तथा जिन समाजों में वे जीवन यापन करते हैं अथवा जहाँ से वे आते उनमें उनके एकीकरण का प्रयास कर उपेक्षाभाव एवं अज्ञान को अभिभूत करें" (अंक 5)।
  6. हम प्रार्थना करते हैं कि वेसाख महापर्व पर आपका समारोह, जिसमें हमारे बीच निवास करनेवाले आभागों तक सुख पहुँचाना शामिल है, उन तौर तरीकों पर गहन विचार करने का अवसर सिद्ध होगा जिनपर हम एक साथ मिलकर काम कर सकें ताकि "अब कोई गुलाम नहीं परन्तु भाई बहन" बनकर सभी लोग भ्रातृत्व, प्रेममयी उदारता एवं दयाभाव में जीवन यापन कर सकें।

सौहार्द्रपूर्ण मंगलकामनाओं को नवीकृत कर हम आप सबको वेसाख महापर्व की मुबारकबाद देते हैं।  

कार्डिनल जाँ लूई तौराँ

अध्यक्ष

 

फादर मिगेल आँगेल आयुसो ग्वीक्सो एमसीसीजे

सचिव

अन्तरधार्मिक परिसम्वाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद








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