2015-04-07 12:10:00

यूपीए सरकार के शासनकाल में भी हुए थे चर्चों पर हमले


नई दिल्ली, मंगलवार, 7 अप्रैल 2015 (पीटीआई): हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ख्रीस्तीय गिरजाघरों एवं संस्थानों पर हमले केवल भाजपा सरकार के शासनकाल में ही नहीं अपितु काँग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार के शासनकाल में भी होते रहे थे।

टाईम्स न्यूज़ नेटवर्क में प्रकाशित किया गया कि इस गुप्त रिपोर्ट में इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित कराया गया है कि हालांकि गिरजाघरों एवं ख्रीस्तीय संस्थाओं पर हमलों को लेकर मोदी सरकार की सर्वत्र आलोचना हो रही है किन्तु यूपीए सरकार के अधीन भी स्थिति किसी तरह बेहतर नहीं थी।  

उक्त रिपोर्ट के अनुसार यूपीए के अंतिम 10 महीने यानि मई 2013 से मार्च 2014 तक ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हमलों के 10 प्रकरण सामने आये थे जिनमें तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में नौ गिरजाघरों में तोड़-फोड़ तथा एक पुरोहित की हत्या शामिल थी। इनमें से 50 प्रतिशत मामलों को अभी भी सुलझाया नहीं जा सका है।

रिपोर्ट के मुताबिक एनडीए सरकार के पहले 10 महीने के शासनकाल में हमलों की संख्या बराबर रही है। इन हमलों में छह मामले दिल्ली से जुड़े हैं और बाकी पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल और हरियाणा के हैं। दिल्ली के विकासपुरी, हिसार, जबलपुर और नवी मुंबई में हुए हमलों की जांच पूरी हो चुकी है और कुल 14 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं जबकि अन्य मामले अभी सुलझे नहीं हैं जिनमें कोलकाता के रानाघाट में डकैती और एक 71 वर्षीय कैथलिक धर्मबहन के सामूहिक बलात्कार का मामला भी शामिल है।  

पुलिस ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हमलों को छिटपुट घटनाएँ कहकर टालती रही है जबकि ख्रीस्तीय नेताओं का कहना है कि हिन्दू चरमपंथी समूह जानबूझकर ख्रीस्तीयों को उत्पीड़ित कर रहे हैं और भाजपा सरकार के आने के बाद से इन हमलों में वृद्धि हुई है। 

 

 








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