वाटिकन सिटी, गुरुवार, 2 अप्रैल 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने, गुरुवार प्रातः, सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में "क्रिज़म मिस्सा" अर्थात् करिश्माई ख्रीस्तयाग अर्पित कर, विलेपन हेतु प्रयुक्त किये जानेवाले, तेलों पर आशीष दी तथा पुरोहितों से कहा कि उनकी थकान स्वर्ग की ओर चढ़ते धूप-गन्ध के सदृश है।
पास्का महापर्व से पूर्व पड़नेवाले गुरुवार को गिरजाघरों में तेलों पर आशीष दी जाती है तथा ख्रीस्तयाग अर्पित किया जाता है।
"मेरा हाथ उसे संभालता रहेगा, मेरा बाहुबल उसे शक्ति प्रदान करेगा" (स्तोत्र ग्रन्थ, 89:21)। स्तोत्र ग्रन्थ के इन शब्दों से ख्रीस्तयाग के अवसर पर अपना प्रवचन आरम्भ कर सन्त पापा ने कहा कि जब प्रभु ने कहा, "मैंने अपने सेवक दाऊद को चुन कर अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है" तब उनका तात्पर्य यही था और जितनी भी बार कोई पुरोहित पिता ईश्वर का साक्षात्कार करता है तब उतनी ही बार पिता ईश्वर उसे सम्भालते तथा उनका बाहूबल उसे शक्ति प्रदान करता है।
सन्त पापा ने कहा कि उक्त शब्दों में भजनकार अभिषिक्त पुरोहितों के बारे में चर्चा कर रहा था। उन्होंने कहा, "पिता ईश्वर येसु से कहते हैं, "तुम्हारे मित्र जो तुमसे प्रेम करते हैं वे मेरे प्रेम के पात्र हैं, वे मुझे पिता कहकर पुकार सकते हैं" (दे. योहन 14:21)। उन्होंने कहा कि ईश्वर हमारी इतनी चिन्ता इसलिये करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि विलेपन का कार्य समर्पण की मांग करता है; "यह हमें थका सकता है। इसका अनुभव हम अपनी दैनिक प्रेरिताई के दौरान करते हैं जिसमें रोग, मृत्यु एवं शहादत तक शामिल रहा करती है।"
कठिन परिस्थितियों में अपनी प्रेरिताई का निर्वाह करनेवाले पुरोहितों को समर्थन देते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि अनेक बार वे ख़ुद थकान महसूस करते हैं और उन क्षणों में वे प्रार्थना करते हैं। उन पुरोहितों के लिये प्रार्थना करते हैं जो ईश प्रजा के बीच, प्रायः परित्यक्त एवं ख़तरनाक परिस्थितियों में भी, निष्ठापूर्वक अपने सेवा कार्यों को जारी रखते हैं। सन्त पापा ने कहा, "प्रिय पुरोहितो, हमारी थकान उस लोबान के सदृश है जो, मौन रूप से, स्वर्ग की ओर ऊपर चढ़ता है, जैसा कि 141 वें भजन का रचयिता कहता हैः "मेरी विनती धूप की तरह, मेरी करबद्ध प्रार्थना सन्ध्या-वन्दना की तरह तेरे पास पहुँचे"। हमारी थकावट सीधे पिता ईश्वर हृदय तक जाती है।"
सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि थकान के बाद विश्राम करना भी ईश योजना का अंग है। उन्होंने कहा, "ऐसा भी होता है कि प्रेरितिक कार्यों से थककर हम किसी भी प्रकार विश्राम करने के प्रलोभन में पड़ सकते हैं, मानों, विश्राम ईश्वर का वरदान न हो। इस प्रलोभन से पुरोहित दूर ही रहें। हमारी थकान येसु की दृष्टि में अनमोल है जो हमारा आलिंगन करते तथा हमें ऊपर उठाते हैं जैसा कि सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के अनुसार येसु कहते हैं: " ''थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सभी मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।"
उन्होंने कहा कि थका मांदा व्यक्ति जानता है कि वह ईश्वर के आगे नतमस्तक हो सकता है, स्वतः को ईश्वर को अर्पित कर उनमें विश्रान्ति पा कर नवीकृत हो सकता है क्योंकि जो विश्वासियों का तेल से विलेपन करता है वह स्वयं ईश्वर द्वारा विलेपित किया जायेगा क्योंकि ईश्वरः "राख के बदले तुम्हें मुकुट पहनाता, शोक-वस्त्रों के बदले आनन्द का तेल प्रदान करता और निराशा के बदले स्तुति की चादर ओढ़ाता है" (दे. इसायाह 61:3)।
सन्त पापा फ्राँसिस ने पुरोहितों से आग्रह किया कि वे विश्राम के सांसारिक अथवा उपभोक्तावादी तरीकों में विश्वास न करें तथा सतही आनन्द की खोज न करें अपितु प्रभु ईश्वर एवं उनकी सृष्टि के सौन्दर्य पर मनन-चिन्तन द्वारा यथार्थ विश्राम का आनन्द उठायें।
पुरोहितों को उनके दायित्वों का स्मरण दिलाते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "पुण्य गुरुवार की धर्मविधि पुरोहितों को याद दिलाती है कि उनकी प्रेरिताई का मूल उद्देश्य निर्धनों को सुसमाचार सुनाना, बन्दियों की रिहाई की घोषणा करना, नेत्रविहिनों को दृष्टिदान देना, दमन के शिकार लोगों को स्वतंत्रता दिलवाना तथा प्रभु के वर्ष की घोषणा करना है। नबी इसायाह के अनुसार उन लोगों का भी उपचार करना जिनका हृदय टूट चुका है तथा उत्पीड़ितों एवं दुःख से प्रभावित लोगों को सान्तवना प्रदान करना है।"
उन्होंने कहा कि कलीसिया के पुरोहित किसी भी परिस्थिति से भय न खायें क्योंकि प्रभु येसु सदैव उनके साथ हैं, "साहसपूर्वक हम बाहर निकलें तथा धरती के अन्तिम छोर तक इस शुभ समाचार का प्रसार करें कि येसु ख्रीस्त हमारे साथ हैं, वे हर पल, हर दिन, संसार के अन्त तक हमारे साथ हैं।"
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