2015-03-27 12:20:00

प्रेरक मोतीः सन्त रूपर्ट (660-717 ई.)


वाटिकन सिटी, 27 मार्च सन् 2015:

धर्माध्यक्ष एवं मिशनरी रूपर्ट, ह्रोडबेर्ट के, रॉबर्ट भी कहे जाते हैं। सामंत घराने के सदस्य रूपर्ट जर्मनी में वोर्म्स के धर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। उन्होंने जर्मन लोगों के बीच सुसमाचार प्रचार का बीड़ा उठाया तथा अन्त तक इसी मिशन के प्रति समर्पित रहे।

बवारिया के सामंत थेडो का समर्थन प्राप्त कर धर्माध्यक्ष रूपर्ट ने सन् 697 ई. में उजाड़ नगर लूवावुम में अपनी प्रेरिताई शुरु की जिसका बाद में पुनः नामकरण किया गया। यही नगर आज ऑस्ट्रिया के साल्ज़बुर्ग शहर रूप में विख्यात है।

साल्ज़बुर्ग में रूपर्ट ने एक गिरजाघर, मठ तथा स्कूल की स्थापना की; मिशनरी दलों को भेजा; तथा नोनबेर्ग में अपनी बहन एरेनट्रूडिस के साथ मिलकर धर्मबहनों के  लिये एक धर्मसंघ की स्थापना की। एरेनट्रूडिस इस धर्मसंघ की पहली अध्यक्षा बनी। साल्ज़बुर्ग में ही रूपर्ट का निधन हो गया था। साल्ज़बुर्ग महाधर्मप्रान्त के पहले महाधर्माध्यक्ष रूप में रूपर्ट की भक्ति की जाती है। सन्त रूपर्ट को बवारिया और ऑस्ट्रिया के प्रेरित भी कहा जाता है। 

चिन्तनः प्रभु ख्रीस्त का सुसमाचार हमें परोपकार के लिये प्रेरित करे।  

 

 








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