2015-03-25 12:09:00

वाटिकन सिटीः ख्रीस्तानुयायियों को ख्रीस्त के मार्ग पर चलना चाहिये, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 25 मार्च 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को बिलाशर्त प्रभु येसु ख्रीस्त के मार्ग का अनुसरण करना चाहिये।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने बाईबिल धर्मग्रन्थ के गणना ग्रंथ से लिये उस पाठ पर चिन्तन किया जिसमें इस्राएल के लोग भोजन और जल के अभाव में ईश्वर एवं नबी मूसा के विरुद्ध शिकायत करते हैं।

इस पाठ के अनुसार ईश्वर का कोप सर्पों के रूप में उनपर गिरता है और उनमें से अनेक मारे जाते हैं जिसके बाद, लोग मूसा के पास आये और बोले, ''हमने पाप किया है। हम प्रभु के विरुद्ध और आपके विरुद्ध भुनभुनाये। प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि वह हमारे बीच से साँपों को हटा दे।'' मूसा ने जनता के लिए प्रभु से प्रार्थना की और प्रभु ने मूसा से कहा, ''काँसे का साँप बनवाओ और उसे डण्डे पर लगाओ। जो साँप द्वारा काटा गया वह उसकी ओर दृष्टि डाले और वह अच्छा हो जायेगा।"

सन्त पापा ने कहा, "अनेक बार हम कहते हैं कि ईश्वरीय राह पर चलते-चलते हम थक चुके हैं।" उन्होंने कहा कि ईश्वर के वरदान को उनके मार्ग के साथ स्वीकार न करना पाप है।

सन्त पापा ने कहा कि उक्त पाठ का डण्डे के साथ सर्प क्रूस का एक प्रतीक है जिसपर येसु उठाये गये तथा जो उसकी ओर देखनेवालों को पाप के विष से मुक्ति दिलाता है।

सन्त पापा ने कहा, "आज कितने ऐसे ख्रीस्तीय धर्मानुयायी हैं जिनका जीवन असन्तोष के विष से भर गया है और जो अपने ही दुःख, अपनी शिकायतों तथा ईश्वर के मार्ग न चलने के रेगिस्तान में मर जाते हैं।"

सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्त के अनुयायी होने का अर्थ है ख्रीस्त के सभी आदेशों का पालन करते हुए जीवन यापन करना। हम आधे ख्रीस्तीय नहीं हो सकते, हमें वरदानों के साथ-साथ कठिनाइयों और संकटों को भी स्वीकार करना चाहिये।            

 








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