2015-03-23 14:45:00

ऑस्ट्रेलिया में 'नमस्ते' हिंदी


ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर के क्रैनबर्न में स्थित रेंजबैंक प्राइमरी स्कूल ने एक बडे क़दम के तहत प्रेप के बच्चों से लेकर ग्रेड छह तक के विद्यार्थियों के लिये  हिंदी भाषा की पढ़ाई शुरु कर दी है।

ऑस्ट्रेलिया के किसी भी प्रांत में ये पहली बार हुआ है कि एक सरकारी स्कूल ने अपने पाठ्यक्रम में हिंदी को ही एकमात्र विदेशी भाषा के तौर पर चुना है।

विक्टोरिया प्रांत के इस स्कूल के प्रधानाचार्य कॉलिन आइवरी को गर्व है कि उनके स्कूल में मैंडरिन या स्पैनिश के बजाय हिंदी सिखाई जा रही है।

उन्होंने बताया, "भारत एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है और हमने देखा कि  आसपास दूसरी भाषाओं पर ज़ोर दिया जा रहा है तो सोचा हिंदी क्यों नहीं ?  एक कमिटी बनाई जिसमे बच्चों के माता-पिता की राय ली गई. सबने ख़ुशी से तुरंत हामी भी भर दी".

रेंजबैंक प्राइमरी स्कूल में फिलहाल कुल बच्चों की संख्या 392 है और इसमें भारतीय मूल के बच्चे सिर्फ़ 10 हैं।

अफ़ग़ानिस्तान से लेकर यूरोप और अफ़्रीकी मूल वाले बच्चे अब हिंदी में बात करना सीख रहे हैं।

सात वर्ष से विक्टोरिया में रह रहीं पूजा वर्मा इस स्कूल में हिंदी पढ़ाती हैं।

उन्होंने कहा, "मैंने भारत में दस वर्ष एक सरकारी स्कूल में पढ़ाया और मेरी बेटी यहाँ पढ़ती थी। जब प्रिंसिपल कॉलिन आइवरी ने मुझसे पूछा कि क्या आप हिंदी पढ़ाना चाहेंगी तो मैंने कहा क्यों नहीं! बस तीन वर्ष से मैं इसी कोशिश में हूँ और विक्टोरिया के शिक्षा मंत्री ने भी यहाँ आकर हमारा उत्साह बढ़ाया है"।

फिलहाल इस प्राइमरी स्कूल में दो भारतीय मूल की शिक्षक, पूजा वर्मा और किरनप्रीत कौर, हैं जो विद्यार्थियों को हिंदी से अवगत कराने में जुटी हुई हैं।

लेकिन प्रधानाचार्य की योजना है कि आगे होने वाली दो और शिक्षकों की भर्ती में हिंदी की जानकारी पर भी ज़ोर दिया जाएगा।

हालाँकि ज़्यादातर बच्चे अभी प्रारंभिक हिंदी के शब्द और उच्चारण ही सीख सके हैं लेकिन इस भाषा के प्रति इनका उत्साह निराला है.

आलम ये है कि अब स्कूल के शौचालयों के सामने लगे बोर्ड पर 'पुरुष' और 'महिला' तक लिखा दिखता है।

चलने से पहले पूजा वर्मा ने कहा, "यहाँ भारत को लेकर जागरूकता बहुत बढ़ रही है. हमारे पास दूसरे स्कूलों से भी फ़ोन भी आने लगे हैं"।

 

 

 

 

 








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