2015-03-21 15:43:00

समाज तथा कलीसिया में कैदियों के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा


नेपल्स पोम्पेई, शनिवार, 21 मार्च 2015 (वीआर सेदोक)꞉ ″कभी कभी आप निराश, निरूत्साह तथा सभी के द्वारा परित्यक्त महसूस करते हों पर ईश्वर अपने बच्चों को कभी नहीं भूलते वे उन्हें कभी नहीं छोड़ते, वे सदा हमारे बगल में रहते हैं, विशेषकर, विपत्ति की घड़ी में क्योंकि पिता करुणा के धनी हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 21 मार्च को अपनी एक दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान नेपल्स स्थित पोजोरियाले कैदखाने के कैदियों से मुलाकात करते हुए कही।

उन्होंने कैदियों को अपना आध्यात्मिक सामीप्य एवं ख्रीस्त का प्रेम प्रदान करते हुए कहा कि येसु जिन्होंने हमें बचाने के लिए क्रूस पर प्राण अर्पित किये वे पृथ्वी पर सभी को आशा प्रदान करने आये थे। वे सदा खुली बाँहों से हमारा इंतजार करते हैं। यद्यपि हमने अपने जीवन में गलतियाँ की किन्तु ईश्वर हमें पुनः सही रास्ता दिखलाने से नहीं थकते। येसु का प्रेम हमारे लिए आशा एवं आराम का स्रोत हैं। हमें उनके प्रेम से कोई अलग नहीं कर सकता मात्र पाप ही हमें उनके प्रेम से अलग कर सकता है किन्तु जब हम अपने पापों को स्वीकार करते तथा पश्चातापी हृदय से पुनर्मिलान संस्कार ग्रहण करते हैं तो वही पाप हमारे लिए ईश्वर से मिलन का जरिया बन जाता है।

संत पापा ने कैदियों के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करते हुए कहा, ″मैं आपकी दुःखद परिस्थिति से अवगत हूँ। कैदियों को कई बार ऐसी परिस्थितियों में रहना पड़ता है जो मानव व्यक्ति के रहने के लिए उचित जगह नहीं होती जहाँ से वे समाज में वापस नहीं जुड़ सकते। संत पापा ने जेल के सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिया जो कैदियों के करीब रहते हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा समर्पण का आधार यह दृढ़ विश्वास है कि प्रेम सदा मानव हृदय को परिवर्तित कर देता है। समाज तथा कलीसिया में उनके प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए प्रयत्न करें ताकि समाज में बंदीगृह भी समावेश और एकात्मकता का हिस्सा बन सके।

संत पापा ने सभी से आग्रह किया कि वे ईश्वर की उपस्थिति में रहें जिनपर विश्व एवं मानव का भविष्य टिका है। उन्होंने सभी कैदियों को कठिन परिस्थितियों में भी ईश्वर की करुणा पर भरोसा रखने एवं आशा बनाये रखने की सलाह दी।

 








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