2015-03-20 17:35:00

मृत्यु दंड न्याय नहीं बदले की भावना को बढ़ावा देता


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 20 मार्च, 2015 ( सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 20 मार्च को वाटिकन सिटी में  मृत्यु दंड के खिलाफ़ अन्तरराष्ट्रीय आयोग के सदस्यों को संबोधित किया।

संत पापा ने कहा कि मौत की सज़ा के खिलाफ़ समर्पित होने और मृत्यु दंड मुक्त विश्व बनाने के लिये कार्य करने वाले नेक दिल के लोगों और मृत्यु दंड के उन्मुलन और फाँसी पर सार्वभौमिक अधिस्थगन के लिये प्रयासरत लोगों की वे सराहना करते हैं।

काथलिक कलीसिया पवित्र धर्मग्रंथ और ईशप्रजा के अनुभवों के आधार पर गर्भधारण से लेकर प्राकृतिक मत्यु तक जीवन की रक्षा करती है और ईश्वर के प्रतिरूप मानव मर्यादा का पूर्ण सम्मान करती है।  

उन्होंने कहा कि मानव जीवन आरंभ से ही पवित्र है क्योंकि गर्भधारण से ही इसमें ईश्वर की शक्ति कार्यरत है और इसी समय से मानव जिसे ईश्वर ने अपने समान बनाया ईश्वर को अति प्रिय है।

ईश्वर ने स्पष्ट आदेश दिया कि मनुष्य मनुष्य की हत्या न करे इसलिये हमें बहिष्कार और असमानता को ‘न’ कहना है। 

संत पापा ने कहा  कि मानव जीवन ईश्वर का है। यहाँ तक कि एक हत्यारा भी व्यक्तिगत मर्यादा कदापि नहीं खोता है और ईश्वर स्वयं उसकी सुरक्षा की गारंटी देता है।

संत अंब्रोस कहा करते थे ईश्वर ने काइन को सज़ा देना चाहा एक हत्यारे को नहीं क्योंकि ईश्वर चाहते हैं कि पापी पश्चात्ताप करे, न कि वह मृत्यु की सज़ा प्राप्त करे।

संत पापा ने कहा कि आज मृत्यु दंड को स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्यों  न कोई भी भयंकर अपराध किया जा चुका है। ऐसा करना मानव मर्यादा और जीवन की पवित्रता के खिलाफ़ होगा। मौत की सजा मानव और समाज में दयापूर्ण न्याय के लिये लिये बनायी गयी ईश्वर की योजना के विरुद्ध है।

 

मृत्यु दंड पीड़ितों को न्याय नहीं देता पर  बदले की भावना को बढ़ावा देता है। कानून के नियम के लिये फाँसी की सज़ा असफलता है क्योंकि यह न्याय के नाम पर मानव को मार डालने को बाध्य करता है।

संत पापा ने कहा कि डोसटोवेस्की ने लिखा था, " उनको मार डालना जिसने हत्या की है भी, उतना ही बड़ा अपराध है। फाँसी देना हत्यारा के अपराध से अधिक भयावह है।"  

संत पापा ने कहा कि फाँसी की सज़ा के द्वारा हमें अपराधी के सुधार की संभावना, क्षतिपूर्ति, पश्चात्ताप, आन्तरिक मनफिराव और दयालु ईश्वर से मिलने को वंचित कर देते हैं। 
 

संत पापा ने कहा कि मृत्यु दंड सुसमाचार में लिखित ‘अपने बैरी को प्यार करो’ की आज्ञा के खिलाफ़ है। संत पापा ने कि वे आयोग के सदस्यों को इस बात के लिये प्रोत्साहन देते हैं कि वे मृत्यु दंड के खिलाफ़ कार्य करना जारी रखें और ईश्वर की दया और करुणा का साक्ष्य दें।


 

 

 

 

 

 








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