वाटिकन सिटी, बुधवार, 18 मार्च 2015 (वीआर सेदोक)꞉ बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पारिवारिक जीवन के विभिन्न सदस्यों माता- पिता, भाई-बहन, दादा-दादी आदि पर चर्चा करने बाद बच्चों पर चिंतन करते हुए परिवार विषय की धर्मशिक्षा माला का समापन करना चाहता हूँ।
परिवार विषय पर हमारी धर्मशिक्षा माला में हम कलीसिया तथा मानव परिवार के लिए अमूल्य वरदान ‘बच्चों’ पर चिंतन करें। संत पापा ने कहा, ″एशियाई देशों में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान मिले अनेक खुशहाल बच्चों की मैं याद करता हूँ किन्तु मैं विश्व भर के उन बच्चों की भी याद करता हूँ जो ग़रीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। एक समाज को अपने बच्चों के प्रति उसके व्यवहार से आंका जा सकता है। हमारे परिवारों में बच्चे हमें स्मरण दिलाते हैं कि बचपन में हम सभी दूसरों पर आश्रित थे। इसका उदाहरण हम स्वयं येसु में देख सकते हैं जो एक बालक के रुप में बेतलेहेम में जन्मे।
अपने जीवन पर पूर्ण अधिकार के विचार से विपरीत बच्चे हमें याद दिलाते हैं कि हम हमेशा पुत्र-पुत्रिया बने रहते हैं। हम अपने को दूसरों पर निर्भर नहीं होने से पूरी तरह नहीं रोक सकते। वे हमें चुनौती देते हैं कि हम चीजों को सरलता, शुद्धता एवं भरोसेमंद हृदय से देख सकें, संसार में हमारे आस पास घट रही घटनाओं के प्रति उत्साह और कोमलता, खुशी और गम की भावना का आदान- प्रदान कर सकें। येसु हमें एक बालक के समान बनने की सलाह देते हैं ″यदि तुम फिर छोटे बालकों-जैसे नहीं बन जाओगे, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करोगे।″ (मती.18꞉3)
संत पापा ने सभी विश्वासियों से आग्रह करते हुए कहा कि हम हमारे बच्चों का स्वागत करें तथा उन्हें सुरक्षित रखें जो हमारे लिए जीवन, खुशी और दुनिया की आशा प्रदान करते हैं। उनके बिना हमारी दुनिया कितनी उदास और सूनी हो जाती है। इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाबे, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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