2015-03-14 15:39:00

करूणा वर्ष की घोषणा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 14 मार्च 2015 (वीआर अंग्रेजी)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 13 मार्च को संत पेत्रुस महागिरजाघर में पश्चाताप की धर्मविधि का अनुष्ठान किया तथा ईश्वर की करुणा को समर्पित असाधारण जयन्ती समारोह की घोषणा की।

पश्चाताप की धर्मविधि में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा,  ″हम पश्चाताप की धर्मविधि में भाग लेने हेतु एकत्र हैं। हम दुनिया भर के उन सभी ख्रीस्तीयों से जुड़े हैं जो प्रभु की करूणा के संस्कार को मनाने के लिए बुलाये गये हैं।″

संत पापा ने कहा कि वास्तव में मेल-मिलाप संस्कार द्वारा  हम क्षमा की आशा लिए साहस के साथ पिता ईश्वर की ओर लौटते हैं। वे करुणा के धनी हैं तथा उन सब पर अपनी करुणा बरसाते हैं जो उदार हृदय से उनकी ओर फिरते हैं। उन्हीं की कृपा का फल है कि हम उनके प्रेम का अनुभव कर सकते हैं जैसा कि प्रेरित संत पौलुस हमें याद दिलाते हैं, ईश्वर ने युग के आरम्भ से ही अपनी दया प्रदर्शित की है।

संत पापा ने कहा,  ″हमारा हृदय परिवर्तन हमें पापों को स्वीकार करने हेतु प्रेरित करता है जो ईश्वरीय वरदान है। ईश्वर के हाथों का कोमल स्पर्श तथा उनकी कृपाओं द्वारा गढ़ा जाना हमें हमारे पापों के लिए बिना भय पुरोहित के पास आने का बल प्रदान करता है तथा अपने दुखों के बावजूद ईश्वर के नाम पर स्वीकार किये जाने की निश्चितता प्रदान करता है। मेल-मिलाप संस्कार में भाग लेने के बाद हमें ईश्वरीय शक्ति का एहसास होता है और विश्वास में दृढ़ता प्राप्त होती है।

प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार के उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु एक फ़रीसी के घर भोजन हेतु निमंत्रित थे तथा एक पापीनी स्त्री ने उनका पैर अपने आँसू से धोकर, उस पर इत्र लगाया और उसका चुम्बन किया।

संत पापा ने कहा कि यह पाठ हमारे लिए आशा और विश्राम का रास्ता खोल देता है। उन्होंने कहा कि यह अच्छा उदाहरण है कि हम भी दूसरों पर वही दया प्रदर्शित करें जिसे येसु ने पापीनी स्त्री के लिए प्रदर्शित किया था।

संत पापा ने कहा कि यह उस पापीनी स्त्री का स्नेह ही था जिसने उसे प्रभु के सामने विनम्र बना दिया किन्तु उससे भी बढ़कर येसु के करूणामय स्नेह ने उसे उनके पास आने हेतु प्रेरित किया। पश्चाताप और आनन्द के आँसू द्वारा प्रभु के चरण धोना, कृतज्ञता की भावना से अपने केशों द्वारा उनके पैर पोंछना तथा उसका चुम्बन करना येसु के प्रति उसके विशुद्ध प्रेम को दर्शाता है। संत पापा ने कहा कि स्त्री ने सचमुच प्रभु से मुलाकात की, जिनके लिए उसने अपना हृदय द्वार खोला, दुःख के साथ अपने पापों के लिए पश्चाताप किया तथा प्रभु की क्षमाशीलता के लिए उन पर इत्र का विलेपन किया। इस मुलाकात में प्रेम का स्थान न्याय से ऊँचा है।

दूसरी ओर फ़रीसी सिमोन ने प्रेम का रास्ता नहीं अपनाया, उसने नियम को अधिक महत्व दिया अतः वह मुक्तिदाता प्रभु से मुलाकात नहीं कर पाया। येसु के बुलावे से हमें कोई भी वस्तु या व्यक्ति नहीं रोक सकता।

संत पापा ने दिव्य करुणा की असाधारण जयन्ती की घोषणा करते हुए कहा कि यह एक यात्रा है जो आध्यात्मिक परिवर्तन से आरम्भ होती है अतः मैंने ईश्वर की करूणा पर एक असाधारण जयन्ती वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। यह करुणा का पावन वर्ष होगा। इस जयन्ती वर्ष की विषय वस्तु होगी दयालु बनो जैसे तुम्हारा स्वर्गीय पिता दयालु है (लू.6꞉36)।

जयन्ती वर्ष की शुरूआत निष्कलंक गर्भागमन महापर्व के साथ होगा तथा 20 नवम्बर 2016 को यह समाप्त हो जायेगी।

संत पापा ने आशा व्यक्त की है कि इस जयन्ती द्वारा कलीसिया ईश्वर की दया को प्रकट करने और उसे अधिक फलप्रद बनाने में आनन्द प्राप्त करेगी।








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