2015-03-13 12:52:00

प्रेरक मोतीः पीज़ा के धन्य़ एग्नेलो (1195-1236)


वाटिकन सिटी, 13 मार्च सन् 2015:

एग्नेलो का जन्म, इटली के एक समृद्ध सामंत परिवार में, 1195 ई. को हुआ था। फ्राँसिसकन धर्मसमाजी जीवन में उनकी अभिरुचि के कारण स्वयं असीसी के सन्त फाँसिस ने एग्नेलो को धर्मसमाज में प्रवेश दिया था। जब वे उपयाजक थे तब ही सन्त फ्राँसिस ने उन्हें पेरिस प्रेषित कर वहाँ के मठों की व्यवस्था का कार्यभार सौंप दिया था।

सन् 1224 ई. में स्वयं सन्त फ्राँसिस द्वारा एग्नेलो इंग्लैण्ड में फ्राँसिसकन धर्मसमाजियों के मिशन को शुरु करने के लिये प्रेषित किये गये थे। अपने आठ सहयोगियों के संग मिलकर मठवासी एग्नेलो ने कैन्टरबरी तथा लन्दन में फ्राँसिसकन धर्मसमाजी मठों की स्थापना की तथा ऑक्सफर्ड में भी फ्राँसिसकन नवदीक्षार्थियों के लिये एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला।

अपने उदार कार्यों के कारण इटली के फ्राँसिसकन धर्मसमाजी बन्धु एग्नेलो इंगलैण्ड के तत्कालीन सम्राट हेनरी तृतीय के इष्ट मित्र बन गये थे। एग्नेलो की मध्यस्थता से ही सम्राट हेनरी तृतीय तथा अर्ल मार्शल के बीच गृहयुद्ध टल गया था। फ्राँसिसकन भिक्षु जीवन शैली के नियमों के प्रति सत्यनिष्ठ, आज्ञाकारी, दीन और विनम्र एग्नेलो व्यक्तिगत धर्मपरायणता के लिये भी विख्यात थे। अपने सहयोगियों एवं नवदीक्षार्थियों को उन्होंने सदैव विन्रमता पाठ पढ़ाया तथा अपने जीवन आचरण द्वारा उन्हें दरिद्रता एवं अकिंचनता के वरण हेतु प्रोत्साहित किया। वे कहा करते थे कि शरीर पर आभूषण अच्छे लगते हैं किन्तु आत्मा को प्रार्थना एवं उदारता के कार्यों रूपी आभूषणों से सुसज्जित रखना आवश्यक है।

पीज़ा के एग्नेलो का निधन, 07 मई, 1236 ई. को, इंग्लैण्ड के ऑक्सफर्ड में हो गया था। इंग्लैण्ड के सम्राट हेनरी आठवें द्वारा ऑक्सफर्ड के फ्राँसिसकन मठ के विघटन तक उनका पार्थिव शरीर बिलकुल भी भ्रष्ट नहीं हुआ था। सन् 1892 ई. को सन्त पापा लियो तरहवें ने एग्नेलो को धन्य घोषित किया था। पीज़ा के एग्नेलो का स्मृति दिवस, 13 मार्च को, मनाया जाता है। इटली में उनका पर्व सात मई को मनाया जाता है।

चिन्तनः प्रभु येसु कहते हैं: धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं क्योंकि स्वर्ग राज्य उन्हीं का है।

 








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