2015-03-12 16:36:00

मेल-मिलाप का संस्कार ईश्वर के करुणावान चेहरे को प्रस्तुत करता है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार 12 मार्च 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने प्रायश्चित संबंधी प्रेरिताई द्वारा आयोजित ‘आंतरिक फोरम’ के कोर्स में भाग ले रहे 400 सदस्यों से बृहस्पतिवार 12 मार्च को क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात कर, मेल-मिलाप संस्कार में पुरोहितों की मदद करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, आप सभी ने इस कॉर्स में भाग लिया है जिसका उद्देश्य है पुरोहितों एवं पुरोहिताई हेतु तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को मेल-मिलाप संस्कार के अनुष्ठान में मदद करना।  

उन्होंने संस्कारों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″संस्कार ईश्वर का मानव के प्रति उनका सामीप्य एवं स्नेह है। यह एक ठोस उपाय है जिनके माध्यम से ईश्वर हमारी कमज़ोरियों पर ध्यान दिये बिना हमें स्वीकारना एवं हमारा आलिंगन करना चाहते हैं।″

संत पापा ने कहा कि मेल-मिलाप का संस्कार इस कारण भी ख़ास है क्योंकि यह ईश्वर के करुणावान चेहरे को प्रस्तुत करता है।

संत पापा ने मेल-मिलाप संस्कार में ईश्वर के अद्भुत वरदान को ग्रहण हेतु तीन मुख्य बातों पर ध्यान देने की सलाह दी- संस्कार को ईश्वरीय दया की शिक्षा देने का माध्यम मानना, खुद के लिए शिक्षा ग्रहण करना तथा अपना ध्यान स्वर्ग की ओर लगाना।

प्रथम बिन्दु को स्पष्ट करते हुए, संत पापा ने कहा कि संस्कार को इस प्रकार सम्पन्न करना चाहिए जिसे कि विश्वासियों को ईश्वरीय दया का अनुभव प्राप्त हो, अथार्त, संस्कार द्वारा भाई बहनों में समझदारी, मानवता एवं ख्रीस्तीयता को प्रोत्साहन मिले। संत पापा ने कहा कि मेल मिलाप संस्कार एक शोषण का माध्यम नहीं किन्तु आनन्द का स्रोत बने।

द्वितीय बिन्दू पर संत पापा ने कहा कि मेल-मिलाप संस्कार में जब पुरोहित संस्कार का अनुष्ठान करता है तो वह विश्वासियों से सरलता, दीनता, ईश्वर पर पूर्ण भरोसा, कलीसिया पर विश्वास एवं पाप-स्वीकार संस्कार के अनुष्ठाता के प्रति श्रद्धा आदि जैसे कई अच्छी बातें सीख सकता है।

संत पापा ने कहा कि पाप स्वीकार संस्कार में एक पुरोहित विश्वासियों से आत्म जाँच करने की प्रेरणा प्राप्त कर सकता है।

संत पापा ने अंतिम बिन्दु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब एक पुरोहित विश्वासियों से पाप स्वीकार सुनता है जो उसे चाहिए कि वह अपनी आंतरिक आँखों को स्वर्ग की ओर उठाये क्योंकि वह न केवल अपनी योग्यता के कारण इस संस्कार का अनुष्ठान करता किन्तु ईश्वर की कृपा, उनके प्रेम एवं दया के कारण समर्थ होता है।

संत पापा ने सभी पुरोहितों से अपील की कि चालीसा काल में व्यक्तिगत मन-परिवर्तन तथा मेल-मिलाप संस्कार में उदारता के अवसर का लाभ उठायें ताकि ईश प्रजा संसार की बुराई पर ईश्वरीय करुणा के विजयोत्सव पास्का पर्व मनाने हेतु अपने को शुद्ध और पवित्र कर सके। 








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