2015-03-12 16:48:00

ईश्वर कठोर हृदय के लिए विलाप करते हैं


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 मार्च 2015 (सेदोक)꞉ ″हम क्या ऐसे लोग हैं जो प्रेम करते हैं अथवा हम ढोंगी हैं। एक ख्रीस्तीय के लिए समझौता का कोई रास्ता नहीं, वह या तो संतों के समान ईश्वर की करुणा के स्पर्श का अनुभव कर, बदले में दूसरों से प्रेम करता है अथवा भलाई के बदले ढोंगियों के समान नष्ट करता और बिखेरता है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 12 मार्च को वाटिकन स्थित संत मार्था के प्रार्थनालय में कही।

पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में उन्होंने कहा कि आरम्भ में नबी तथा कितने संत आये जिनके माध्यम से ईश्वर ने लोगों के साथ संबंध स्थापित किया किन्तु उनकी उत्तम शिक्षा और उदाहरणों के बावजूद मुक्ति इतिहास में कई उतार-चढ़ाव हुए तथा कई विश्वासघाती एवं ढोंगी भी आये।

संत पापा ने कहा,  ″ईश्वर कठोर हृदय के लिए विलाप करते हैं।″

संत पापा ने प्रवचन में नबी येरेमियस के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ ईश्वर व्यथित हृदय से अपनी प्रजा को पुकारते हैं जिन्होंने उनसे असंख्य वरदानों को प्राप्त किया किन्तु उनकी वाणी नहीं सुनी।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर ने उन्हें सब कुछ दिया था जिसका बदला उन्होंने बुराई से दिया। उन्होंने कहा, ″यह ईश्वर की कहानी है। यहाँ ईश्वर विलाप करते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी प्रजा को बहुत प्यार किया, उसे सब कुछ प्रदान किया किन्तु उसकी प्रजा ने उनका विरोध किया। येरूसालेम पर येसु ने भी आँसू बहाया क्योंकि ईश्वर के प्रति लोगों की निष्ठा ख़त्म हो गयी थी।

संत पापा ने कहा कि हम भी अपनी जीवन यात्रा में कठोरता का पथ अपनाते हैं किन्तु जब हमें ईश्वर की वाणी सुनाई पड़ती है तो हम पुनः लौट आते हैं।

संत पापा ने चिंतन करने की सलाह देते हुए कहा कि इस चालीसा काल में क्या मैं ईश्वर की वाणी सुन सकता हूँ अथवा अपनी ही रुचि और पसंद को पूरा करता हूँ?

सुसमाचार पाठ एक बहरे व्यक्ति को प्रस्तुत करता है जो ईश्वर की वाणी को नहीं सुन सकता है किन्तु ईश्वर उन्हें चंगा करते हैं जिसके बदले में उनपर आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने शैतान की शक्ति से यह सम्पन्न किया है।

संत पापा ने कहा कि ऐसी घटना कलीसिया के इतिहास में भी देखने को मिलती है संतों को भी इसी प्रकार की प्रताड़ना सहनी पड़ी अतः उन्होंने कहा कि कोई मध्य मार्ग नहीं है। संत ईश्वर द्वारा दया किये जाने से नहीं हिचकते। जिन लोगों ने मानव कठिनाईयों का सामना किया वे लोगों के करीब रहे उन्होंने उनका परित्याग नहीं किया। येसु कहते हैं जो मेरे साथ नहीं है वह मेरे विरूद्ध है। क्या हम प्रेम के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं या मात्र दिखावा करते हैं?   

 

 








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