2015-03-11 13:44:00

बुजुर्गो की भूमिका


वाटिकन सिटी, बुधवार  11 मार्च,  2015 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में अगले वर्ष परिवार की बुलाहट और मिशन विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए हम परिवार पर चिन्तन करना जारी रखें।  आज हम परिवार में  बुजुर्गों की भूमिका पर चिन्तन करें।

 

सुसमाचार में दो बुजुर्गों सिमेओन और अन्ना की चर्चा है। दोनों को ईश्वर की प्रतिज्ञा पर पूरा भरोसा है जो अपने समय में पूर्ण होता है। सिमेओन और अन्ना दोनों का जीवन हमारे लिये एक आदर्श है। बुजुर्गों की आध्यात्मिकता के लिये दोनों का जीवन अनुकरणीय है।

 

उनके जीवन का केन्द्र था प्रार्थना। सचमुच दादा परदादाओं की प्रार्थना परिवार और कलीसिया के लिये एक विशेष वरदान है। प्रार्थना में वे ईश्वर से प्राप्त कृपाओं के लिये धन्यवाद देते, घर के अन्य सदस्यों की ज़रूरतों के लिये प्रार्थना करते तथा अच्छी यादों तथा बलिदानों को ईश्वर को अर्पित करते हैं।

 

परिशुद्ध करनेवाली प्रार्थना और विश्वास की शक्ति हमें इस बात के लिये मदद देती  है कि हम परिवार को सदस्यों को जीवन के उस अर्थ को समझा सकते हैं जो दूसरों की सेवा और उनके लिये बलिदान करने से प्राप्त होती है। हमारे परिवारों में युवा अपने दादा-परदादाओं की बातों का मूल्य समझते हैं।

 

मैं अब भी उस बात की याद करता हूँ जिसे मेरी दादी माँ ने मुझे मेरे अभिषेक के दिन लिखा था।

 

ऐसे समय में जब समाज कई बार बुजुर्गों को दरकिनार कर देती कलीसिया को चाहिये कि वह बुजुर्गों के योगदान के महत्व को समझे ताकि बुजुर्गों और युवा पीढ़ी के बीच एक अर्थपूर्ण संबंध स्थापित हो सके।

 

 

इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

 

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया,  वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया  फिनलैंड,  ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क , कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 

 








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