2015-03-11 12:13:00

ईश्वर क्षमा करते तथा हमसे भी क्षमा करने की अपेक्षा रखते हैं, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 11 मार्च 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि प्रभु ईश्वर मनुष्यों को क्षमा कर देते हैं तथा मनुष्यों से भी यही अपेक्षा करते हैं कि वे अपने अपराधियों को क्षमा कर दें।

वाटिकन स्थित सन्त मर्ता प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने क्षमा के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, "अपना हृदय ईश्वर के समक्ष खुला रखने का अर्थ अन्यों को क्षमा कर देने की इच्छा रखना भी है। यदि मैं क्षमा नहीं कर सकता तो मैं भी क्षमा पाने के योग्य नहीं हो सकता।"

सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के उस पाठ पर सन्त पापा फ्राँसिस चिन्तन कर रहे थे जिसमें प्रभु येसु मसीह अपने शिष्यों से कहते हैं कि उन्हें सात बार नहीं 77 बार अपने अपराधियों को क्षमा कर देना चाहिये।

सन्त पापा ने कहा कि 77 बार क्षमा करने का अर्थ है कि हम हर बार अपने आततायी को क्षमा कर दें। उन्होंने कहा, "प्रभु येसु द्वारा सिखाई गई प्रार्थना में हम कहते हैं "हमारे अपराध क्षमा कर जैसे हम भी अपने अपराधियों को क्षमा कर देते हैं", यही है क्षमा पर येसु की शिक्षा, जिस क्षमा की आप ईश्वर से अपेक्षा करते हैं वह यह मांग करती है कि आप भी अपने अपराधियों को क्षमा कर दें।"

उन्होंने कहा कि यदि हम क्षमा प्रदान करने के लिये तैयार नहीं हैं तो एक प्रकार से हम ईश्वर के प्रति अपने मन के दरवाज़ों को बन्द कर देते हैं क्योंकि ईश्वर दयालु हैं, वे सब समय हमें क्षमा कर देते हैं।

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि पाप करने के बाद ईश्वर से क्षमा याचना करना अपनी भूल को मानने से कहीं अधिक है क्योंकि, उन्होंने कहा, "पाप केवल एक साधारण भूल नहीं है बल्कि पाप घमण्ड, अहंकार, मैं और मेरा कल्याण, धन और भोग विलासिता की पूजा है।"           

 








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