2015-03-05 16:04:00

व्यक्ति का जीवन हर परिस्थिति में मूल्यवान


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 मार्च 2015 (वीआर सेदोक)꞉  जीवन रक्षा के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी से संत पापा फ्राँसिस ने मुलाकात कर मानव जीवन के प्रति सहानुभूति रखने एवं उनकी देखभाल के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

बृहस्पतिवार 5 मार्च को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभीगार में जीवन रक्षा के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी की सभा में भाग ले रहे 100 प्रतिनिधियों से मुलाकात कर संत पापा ने कहा, ″शांतिपूर्ण देखभाल एक दूसरे के प्रति व्यक्ति की उत्तम विचारधारा की अभिव्यक्ति है विशेषकर, जो दुःख सहते हैं। यह दर्शाता है कि बीमारी और बुढ़ापे के बावजूद व्यक्ति का जीवन हमेशा मूल्यवान है।″

संत पापा ने कहा कि वास्तव में व्यक्ति हर परिस्थिति में अपने आप में अच्छा होता है तथा ईश्वर के प्रेम का पात्र होता है अतः जब व्यक्ति कमजोर पड़ जाता तथा मृत्यु के क़रीब आ जाता है तब हमें एहसास होता है कि उनकी मदद करना और उनका साथ देना ही उत्तम रास्ता है।

ईश्वर के दस नियमों के चौथे नियम को प्रस्तुत करते हुए संत पापा ने कहा कि माता-पिता का आदर करना बृहद स्तर पर हमें याद दिलाता है कि हमें सभी बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। इस आज्ञा में ईश्वर हम से दो प्रतिज्ञाएँ भी करते हैः माता-पिता का सम्मान करने वाले की आयु लम्बी होगी तथा उसका जीवन खुशहाल होगा।

इसके विपरीत, पवित्र धर्मग्रंथ में कहा गया है कि जो अपने बूढ़े माता-पिता का तिरस्कार करता तथा उनके साथ बुरा बर्ताव करता है वह अपने बुढ़ापे में दुःखी और अपने आप को परित्यक्त अनुभव करेगा।

संत पापा ने कहा कि आज उन्हें आदर देने का अर्थ है कि शारीरिक रूप से कमजोर तथा मृत्यु शय्या पर पड़े लोगों का सम्मान करते हुए उनकी सेवा करना। समाज में सभी दवाओं की ख़ास भूमिका है अर्थात् बुज़ुर्गों एवं हर मानव प्राणी के सम्मान का साक्ष्य प्रस्तुत करना। मात्र दक्षता चिकित्सक के कार्यों का मापदंड नहीं हो सकता और न ही स्वास्थ्य प्रणाली एवं आर्थिक लाभ। एक राज्य औषधि से आर्थिक लाभ अर्जित करने की अपेक्षा नहीं कर सकता और दूसरी ओर चिकित्सक की जिम्मेदारी व्यक्ति के जीवन की रक्षा करने से बड़ी हो ही नहीं सकती।

संत पापा ने जीवन रक्षा के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी के सदस्यों को सम्बोधित कर कहा कि आज उनके कार्यों का दायरा विस्तृत हो रहा है जहाँ उन्हें शांतिपूर्ण सेवा प्रदान करने की आवश्यकता है। संत पापा ने कहा कि वयोवृद्धों का परिवारवालों से परित्यक्त हो जाना उनके प्रति एक बड़ा अन्याय है। संत पापा ने अकादमी के सभी सदस्यों को प्रोत्साहन दिया कि वे अपने समर्पण में उदार बने रहे जिससे कि अधिक लोगों को उनके द्वारा सहायता मिल सके।








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