2015-02-28 16:56:00

मेल-मिलाप संस्कार की तैयारी हेतु संत पापा ने दी सुझाव


वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 फरवरी 2015 (सीएनएस)꞉ चालीसा काल में काथलिकों को मेल-मिलाप संस्कार में भाग लेने हेतु विशेष ध्यान देने का प्रोत्साहन दिया जाता है क्योंकि यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। संत पापा फ्राँसिस ने मेल-मिलाप संस्कार की तैयारी में मदद करने के उद्देश्य से सुझाव प्रस्तुत की है।

पाप स्वीकार या मेल-मिलाप संस्कार क्यों ग्रहण करना चाहिए पर स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने लिखा है, ″क्योंकि हम सब पापी हैं।″ उन्होंने अंतःकरण की जाँच एवं उत्तम रीति से पाप स्वीकार संस्कार ग्रहण कर पाने हेतु चिंतन करने के लिए 30 मुख्य सवाल दिये हैं।

सुझाव की यह पुस्तिका 28 पन्नों की है जो इतालवी भाषा में लिखी गयी है तथा वाटिकन प्रकाशन केंद्र से प्रकाशित हुई है। संत पापा ने गत 22 फरवरी को देवदूत प्रार्थना में उपस्थित विश्वासियों के बीच पुस्तिका की 50,000 प्रतियाँ बाँटी थीं।

पुस्तिका का शीर्षक है ″अपने हृदय की रक्षा करें।″ पुस्तिका विश्वासियों को बुराई से लड़ने एवं अच्छाई का चयन करने का साहस प्रदान करेगा।

पुस्तिका में काथलिकों की मौलिकता पर भूमिका लिखी हुई है तथा प्रेरितों के धर्मसार की प्रार्थना, पवित्र आत्मा के वरदानों की सूची, ईश्वर की दस आज्ञाएँ एवं 8 धन्यताएँ निहित हैं। इस में सात संस्कारों की जानकारी भी दी गयी है तत्पश्चात संत पापा फ्राँसिस द्वारा प्रार्थनामय तरीके से सुसमाचार पढ़ने का सुझाव दिया गया है ताकि हम प्रभु की आवाज को सुन सकें और उनकी इच्छा को पहचानते हुए अपने हृदय का परिवर्तन कर सकें।

पुस्तिका का शीर्षक संत पापा के प्रवचन से लिया गया है जिसमें उन्होंने विश्वासों को सम्बोधित कर कहा था कि ख्रीस्तीयों को उसी प्रकार अपने हृदय की रक्षा करनी चाहिए जिस प्रकार हम अपने घर की रखवाली द्वार पर ताला लगा कर करते हैं।

उन्होंने कहा था, ″कितनी बार हमारे मन में बुरे विचार उठते हैं, बुरी चाह उत्पन्न होती है ईर्ष्या, द्वेष और घमण्ड की भावना आती है? द्वार कौन खोलता और किस प्रकार ये चीजें अन्दर प्रवेश कर जाते हैं?″   

10 अक्टूबर 2014 के प्रवचन में संत पापा ने कहा था कि हृदय की रक्षा करने का सबसे उत्तम तरीका है प्रतिदिन अंतःकरण की जाँच करना।

उन्होंने कहा था कि काथलिकों को मेल-मिलाप संस्कार के लिए जाना चाहिए क्योंकि सभी को उनके पापों से क्षमा पाना आवश्यक है। जो अपने को पाप रहित बतलाता है वह मिथ्यावादी है। मेल-मिलाप संस्कार मन-परिवर्तन का एक सुन्दर अवसर है। यह अपने बच्चों को क्षमा करने एवं येसु के रास्ते पर उन्हें वापस ले आने की ईश्वर की इच्छा पर विश्वास करना है।

 

 








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