2015-02-27 09:58:00

प्रेरक मोतीः सेविल्ले के सन्त लेआन्डेर (534 ई.-600 ई.)


वाटिकन सिटी, 27 फरवरी सन् 2015

लेआन्डेर का जन्म स्पेन के कार्ताजेना में, सन् 534 ई. में, हुआ था। सावेरियानुस एवं थेओदोरा उनके माता पिता थे जो सादगी और सरलता सम्पन्न धर्मपरायण जीवन यापन किया करते थे। सन्त इसीडोर एवं सन्त फुलजेनतियुस दोनों धर्माध्यक्ष थे तथा लेआन्डेर के भाई थे। लेआन्डेर की बहन फ्लोरेनतीना की गिनती भी सन्तों में की जाती है।

युवाकाल में कदम रखते ही लेआन्डेर ने भी अपने भाइयों के पदचिन्हों पर चलते हुए प्रभु को समर्पित जीवन यापन का चयन कर लिया और इसके लिये वे सेविल्ले के मठ में भर्ती हो गये। कुछ समय तक मठवासी जीवन यापन करने तथा समर्पित जीवन की शपथें ग्रहण करने के उपरान्त वे पुरोहित अभिषिक्त हुए और बाद में सेविल्ले धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये।

धर्माध्यक्ष लेआन्डेर के प्रेरितिक कार्यों से प्रभावित होकर कई लोगों ने काथलिक धर्म का आलिंगन कर लिया था। इन्हीं में आरियनवादी अपधर्मी भी शामिल थे जो ख्रीस्तीय होने का दावा तो करते थे किन्तु ख्रीस्तीय धर्म की शिक्षाओं के विपरीत आचरण करते थे। धर्माध्यक्ष लेआन्डेर की धर्मपरायणता, उनके उदार कार्य तथा भाई, पड़ोसी एवं ज़रूरतमन्दों की सहायता हेतु उनकी तत्परता देखकर अपधर्मी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहे। कहा जाता है कि तत्लीन आरियनवादी विसिगोथिक राजा लियोविगिल्द के दो पुत्र, हेरमेनेगिल्द तथा रेकार्ड के मनपरिवर्तन का श्रेय भी  धर्माध्यक्ष लेआन्डेर को ही जाता है। हेरमेनेगिल्द तथा रेकार्ड ने जब काथलिक धर्म का आलिंगन कर लिया तब आरियनवादी राजा लियोगिल्द का कोप भड़क उठा तथा उसने धर्माध्यक्ष लेआन्डेर को दण्डित करने के लिये कॉन्सटेनटीनोपल निष्कासित कर दिया।

कॉन्सटेनटीनोपल में धर्माध्यक्ष लेआन्डेर, सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्षीय प्रतिनिधि ग्रेगोरी के निकट मित्र बन गये जो बाद में जाकर सन्त पापा ग्रेगोरी महान हुए। धर्माध्यक्ष लेआन्डेर के सुझाव पर ही ग्रेगोरी ने "मोरालिया" शीर्षक से यहूब के ग्रन्थ की व्याख्या लिखी थी।

आरियनवादी राजा लियोविगिल्द के देहान्त के बाद पुत्र रेकार्ड ने राजसिंहासन सम्भाला। उन्होंने धर्माध्यक्ष लेआन्डेर को पुनः सेविल्ले बुलाया जिससे स्पेन में आरियनवाद के विरुद्ध ख्रीस्तीय धर्म के प्रचार का मार्ग प्रशस्त हुआ।

सन् 589 ई. में धर्माध्यक्ष लेआन्डेर के नेतृत्व में तोलेदो की धर्मसभा सम्पन्न हुई। इस धर्मसभा में त्रियेक ईश्वर के अभिन्नतत्व या एकतत्ववाद की पुष्टि की गई तथा नैतिक सुधारों का सिलसिला शुरु किया गया।

अपनी अमोघ प्रज्ञा तथा अथक समर्पण द्वारा धर्माध्यक्ष लेआन्डेर विसिगोथी एवं सुएवी आरियनवादियों को पुनः सुमार्ग पर लाने में सफल हुए तथा सन्त पापा ग्रेगोरी महान की प्रशंसा के पात्र बने। विश्वास के धनी धर्माध्यक्ष लेआन्डेर ने धर्मबहनों के लिये प्रभावात्मक नियमों की रचना की तथा पवित्र ख्रीस्तयागों में नाईसियन धर्मसार की प्रार्थना को प्रस्तावित किया। ख्रीस्तीय धर्म के प्रति अथक परिश्रम करनेवाले सेविल्ले के धर्माध्यक्ष लेआन्डेर का निधन सन् 600 ई. में हो गया था। उनके बाद उनके भाई इसीडोर सेविल्ले के धर्माध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। स्पेन की कलीसिया, ख्रीस्तीय धर्म के आचार्य रूप, सेविल्ले के सन्त लेआन्डेर के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करती है।            

चिन्तनः "धर्मियों की आत्माएँ ईश्वर के हाथ में हैं। उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं होगा। मूर्ख लोगों को लगा कि वे मर गये हैं। वे उनका संसार से उठ जाना घोर विपत्ति मानते थे और यह समझते थे कि हमारे बीच से चले जाने के बाद उनका सर्वनाश हो गया है; किन्तु धर्मियों को शान्ति का निवास मिला है" (प्रज्ञा ग्रन्थ 3: 1-3)।  

 








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