2015-02-27 16:10:00

दैनिक मिस्सा पाठ


शनिवार- 28.2.15

दैनिक मिस्सा पाठ

पहला पाठ- विधि विवरण- 26꞉ 16-19

16) ''आज तुम्हारा प्रभु-ईश्वर इन नियमों तथा आज्ञाओं का पालन करने का आदेश दे रहा है। तुम उन पर चलते रहोगे और सारे हृदय और सारी आत्मा से इनका पालन करते रहोगे। 17) आज तुम्हें प्रभु से यह आश्वासन मिला की वह तुम्हारा अपना ईश्वर होगा - बशर्ते तुम उसके मार्ग पर चलो, उसके नियमों, आदेशों तथा आज्ञाओं का पालन करो और उसकी बातों पर ध्यान दो। 18) तुमने प्रभु को यह आश्वासन दिया कि तुम उसकी अपनी प्रजा होगे, जैसा कि उसने तुम से कहा है, बशर्ते तुम उसकी सभी आज्ञाओं का पालन करो। 

19) उसने जितने राष्ट्र बनाये, उन सब से अधिक तुम्हें सम्मान, ख्याति तथा महिमा प्रदान करेगा और तुम प्रभु की पवित्र प्रजा होगे, जैसा कि उसने तुम से कहा है।'' 

सुसमाचार पाठ- मती. 5꞉ 43-48

 43) ''तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है- अपने पड़ोसी से प्रेम करो और अपने बैरी से बैर। 44) परन्तु में तुम से कहता हूँ- अपने शत्रुओं से प्रेम करों और जो तुम पर अत्याचार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो। 45) इस से तुम अपने स्वर्गिक पिता की संतान बन जाओगे; क्योंकि वह भले और बुरे, दोनों पर अपना सूर्य उगाता तथा धर्मी और अधर्मी, दोनों पर पानी बरसाता है। 46) यदि तुम उन्हीं से प्रेम करते हो, जो तुम से प्रेम करते हैं, तो पुरस्कार का दावा कैसे कर सकते हो? क्या नाकेदार भी ऐसा नहीं करते? 47) और यदि तुम अपने भाइयों को ही नमस्कार करते हो, तो क्या बडा काम करते हो? क्या गैर-यहूदी भी ऐसा नहीं करते?  48) इसलिए तुम पूर्ण बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गिक पिता पूर्ण है।  








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