2015-02-21 15:41:00

चालीसा काल स्वार्थ तथा ग़रीबों के प्रति उपेक्षा से ऊपर उठना


वाटिकन सिटी, शनिवार, 21 फरवरी 2015 (सीएनएस)꞉ ″सच्चा उपवास मन पसंद भोजन से अपने को दूर रखना ही नहीं किन्तु सभी प्रकार के स्वार्थ का परित्याग करते हुए जरूरतमंदों, पापियों एवं बीमार लोगों के लिए हृदय में जगह बनाना है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 20 फरवरी को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कही।

उन्होंने कहा, ″उदार कार्यों के बिना विश्वास न केवल एक ढोंग है किन्तु मृतप्राय है जिसका कोई लाभ नहीं।″ उन्होंने उन धर्मी कहलाने वालों की निंदा की जो धार्मिकता के परदे पर दूसरों के साथ अन्याय करते, मज़दूरों को उचित परिश्रमिक नहीं देते तथा उनके स्वास्थ्य एवं पेंशन की चिंता नहीं करते हैं।

संत पापा ने कहा कि कलीसिया के प्रति उदारता दिखलाकर अन्यों के प्रति स्वार्थी होना और उनके प्रति अन्याय करना एक गंभीर पाप है। यह अपने अन्याय को छिपाने के लिए ईश्वर का सहारा लेना है। 

संत पापा ने प्रवचन में नबी इसायस के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जिसमें ईश्वर अपनी प्रजा से कहते हैं कि वे उन लोगों के त्याग-तपस्या पर ध्यान नहीं देते हैं जो ईख की तरह झुककर टाट एवं राख में चुपचाप झूठ बोलते हैं। ईश्वर चाहते हैं कि उनकी प्रजा अन्याय और पाप के विरूद्ध जोर से चिल्लाये, दबे हुओं को स्वतंत्र करे, सभी प्रकार के जुओं को तोड़ डाले, भूखों के साथ अपनी रोटी बांटे तथा बेघरों को शरण प्रदान करे।

पाठ में ईश्वर उन लोगों को भी चुनौती देते हैं जो उपवास के नियम का पालन करते किन्तु अपने कर्मचारियों के साथ बुरा बर्ताव करते हैं।  

संत पापा के अनुसार चालीसा काल मात्र औपचारिक नियमों का पालन करना तथा शुक्रवार को मांस का परित्याग करना ही नहीं है किन्तु उसके सही अर्थ को समझते हुए अपने स्वार्थ, अन्याय तथा ग़रीबों के प्रति उपेक्षा की भावना से ऊपर उठना है।

 








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