2015-02-12 15:44:00

मोसुल के ईसाइयों को शरण देने हेतु एरबिल के महाधर्माध्यक्ष की अपील


लंदन,  बृहस्पतिवार, 12 फरवरी 2015 (एशियान्यूज़)꞉ ″इस्लामी स्टेट के चरमपंथियों की हिंसा से बचने हेतु पिछले साल मोसुल तथा निन्हवे से भागे ख्रीस्तीय परिवारों को एरबिल तथा कुर्दिस्तान के स्कूलों में शरणार्थी रूप में कई महीने से रहना पड़ रहा है। उनके लिए मकान एवं छत की अति आवश्यकता है।″ यह बात एरबिल के महाधर्माध्यक्ष बशार मत्ती वार्दा ने अंगलिकन कलीसिया में सिनॉद के दौरान कही।

उन्होंने कहा, ″ईराक के ख्रीस्तीय इतिहास में आरम्भिक कलीसिया के समान बहुत कठिन और निकृष्टतम स्थिति से होकर गुजर रहे हैं। इन शताब्दियों में कलीसिया ने कई शहीदों का दान किया है तथा कई कठिनाईयों एवं अत्याचारों का सामना किया है।″    

महाधर्माध्यक्ष वार्दा ने कहा कि उक्त क्षेत्रों के परिवारों को आर्थिक एवं भौतिक सहायता की अति आवश्यकता है जिससे कि वे जीवित रह सकें क्योंकि स्थानीय कलीसिया मौलिक सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ है।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि हम लोग घृणित समझे जा रहे हैं क्योंकि हम ख्रीस्तीय बने रहना चाहते हैं और हमने एक मौलिक मानवीय अधिकार की मांग की है।

उन्होंने कहा कि लोगों की दो प्रकार से मदद की जा सकती है पहली, प्रार्थना द्वारा और दूसरी आर्थिक मदद द्वारा।

उन्होंने कहा कि कई प्रकार की राहत परियोजनाएँ चल रही हैं जिनके लिए फंड की आवश्यकता है। स्कूलों एवं घरों में रह रहे ख्रीस्तीय शरणार्थियों के लिए घर की आवश्यकता है। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि आवश्यक सहायता द्वारा ये परिवार स्थिरता का अनुभव करते हुए अपनी जीविका हेतु नौकरी की तलाश कर पायेंगे। उन्होंने सभी प्रकार के सहयोग के लिए सिनॉड को धन्यवाद दिया।

 








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