वाटिकन सिटी, मंगलवार, 10 फरवरी 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने समस्त विश्व के काथलिक धर्मानुयायियों का आह्वान किया है कि वे पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान प्रदान कर ईश्वर की सृष्टि के प्रति सम्मान व्यक्त करें।
वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में सोमवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि जो ख्रीस्तीय धर्मानुयायी प्रकृति की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते वे ईश्वर की सृष्टि का सम्मान नहीं करते।
उन्होंने कहाः "वह ख्रीस्तीय जो सृष्टि की रक्षा नहीं करता, जो उसे विकसित होने नहीं देता वह ऐसा व्यक्ति है जो ईश्वर के प्रेम से प्रस्फुटित उनके श्रम की परवाह नहीं करता।"
सन्त पापा फ्राँसिस बाईबिल धर्मग्रन्थ के उत्पत्ति ग्रन्थ में निहित सृष्टि की रचना के पाठ पर चिन्तन कर रहे थे तथा ईश्वर की सृष्टि जो मानव के पाप से दूषित हुई थी उसकी तुलना प्रभु येसु मसीह की पुनर्सृष्टि से कर रहे थे।
उन्होंने सन्त मारकुस रचित सुसमाचार में निहित उस पाठ पर भी चिन्तन किया जिसमें येसु बीमारों को चंगाई प्रदान करते हैं।
सन्त पापा ने कहा, "प्रभु येसु द्वारा मनुष्यों को दी गई चंगाई "दूसरी सृष्टि अथवा नई सृष्टि" है जो प्रथम सृष्टि से भी अधिक वैभवशाली है।" परन्तु, उन्होंने कहा, "दूसरी सृष्टि, हालांकि, अधिक महत्वपूर्ण है, ईश्वर ने विश्वासियों को यह ज़िम्मेदारी सौंपी है कि वे पहली सृष्टि अर्थात् धरती की रक्षा करें तथा विधानों के अन्तर्गत रहते हुए उसके विकास में सहयाता प्रदान करें।"
येसु ख्रीस्त द्वारा सम्पन्न "दूसरी सृष्टि" के बारे में सन्त पापा ने कहा, "बाईबिल में सन्त पौल द्वारा हमसे कहा गया है कि हम ईश्वर के साथ सुलह करें क्योंकि पुनर्मिलन ही येसु का कार्य है।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि पिता, पुत्र एवं पवित्रआत्मा तीनों इस सृष्टि की पुनर्रचना में क्रियाशील हैं और इसके प्रत्युत्तर में हम सबको भी सृष्टि की रक्षा एवं उसका पोषण करना चाहिये।
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