वाटिकन सिटी, मंगलवार, 10 फरवरी 2015 (सेदोक): वाटिकन में छः से आठ फरवरी तक बच्चों की सुरक्षा हेतु परमधर्मपीठीय आयोग की पूर्ण कालिक सभा सम्पन्न हुई जिसके उपरान्त आयोग ने बच्चों, किशोरों एवं कमज़ोर वयस्कों की रक्षा हेतु कुछ प्रस्ताव सन्त पापा फ्राँसिस के समक्ष रखे।
17 सदस्योंवाले उक्त आयोग ने विश्व के विभिन्न महाद्वीपों में बच्चों की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा उनकी सुरक्षा हेतु प्रस्ताव रखे ताकि कलीसिया को बच्चों, किशोर वर्ग एवं कमज़ोर वयस्कों के लिये एक सुरक्षित स्थल बनाया जा सके। इस दिशा में धर्माध्यक्षों की भूमिका पर बल दिया गया जिनसे अपने-अपने धर्मप्रान्तों में बच्चों के अधिकारों की रक्षा हेतु जारी कार्यक्रमों पर ध्यान देने का आग्रह किया गया। इसके तहत सभी धर्मप्रान्तों में बच्चों की सुरक्षा हेतु पुरोहितों, धर्मसंघियों एवं शिक्षकों को प्रशिक्षित करने हेतु विशिष्ट कार्यशिविरों के आयोजन का भी सदस्यों ने प्रस्ताव रखा।
बच्चों की सुरक्षा हेतु परमधर्मपीठीय आयोग के अध्यक्ष कार्डिनल शॉन ओमाले ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, "इस क्षेत्र में धर्माध्यक्षों की भूमिका अहं है।" उन्होंने कहा कि जो "धर्माध्यक्ष अपने धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा निर्मित बच्चों की सुरक्षा से सम्बन्धित नियमों पर ध्यान नहीं देते अथवा उनके प्रति बेफिक्र रहते हैं उन्हें इसके परिणामों के लिये तैयार रहना चाहिये।"
कार्डिनल महोदय ने कहा कि आयोग द्वारा प्रस्तावित नियम "कलीसिया को तत्काल कार्रवाई करने में मदद प्रदान करेंगे।" उन्होंने कहा, "हमने कुछेक व्यावहारिक प्रस्ताव रखें हैं जिनसे उन स्थितियों से निपटा जा सकेगा जो सबके लिये चिन्ता कारण बनी हुई हैं।"
कार्डिनल ओमाले ने बताया कि आयोग उन बच्चों एवं किशोरों की चंगाई हेतु प्रार्थना दिवस की भी तैयारी कर रहा है जो यौन दुराचार के शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य पीड़ितों की आध्यात्मिक चंगाई के साथ-साथ काथलिक समुदाय में बच्चों के विरुद्ध दुराचार के अभिशाप के प्रति चेतना जागृत करना है।
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