वाटिकन सिटी, शनिवार, 7 फरवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 7 फरवरी को, वाटिकन स्थित कार्डिनल मंडल भवन में अफ्रीका एवं मेडागास्कर के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की संगोष्ठी के 20 प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनके कार्यों को प्रोत्साहन दिया।
संत पापा ने कहा कि अफ्रीका एवं मेडागास्कर के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की संगोष्ठी की स्थापना स्थानीय कलीसिया की सेवा हेतु की गयी है। मुक्ति, शांति, वार्ता तथा मेल-मिलाप के चिन्ह एवं माध्यम स्वरूप संगोष्ठी का कर्तव्य है कलीसिया की आवाज और उसका साक्ष्य बनना। ग़रीबों की सेवा के इस मिशन को पूरा करने के लिए सम्मेलन को समर्पित होने की आवश्यकता है।
संत पापा ने कहा कि इसके लिए धर्माध्यक्षों को सांसारिक तथा राजनीतिक चिंताओं से मुक्त रहना चाहिए जिससे कि वे अन्य कलीसियाओं के साथ मिलकर, प्रेरित संत पेत्रुस के उतराधिकारी का सहयोग करते हुए निरंतर भ्रातृ प्रेम के बंधन को मज़बूत बनाये रख सकें।
संत पापा ने कहा कि युवाओं को उनके साक्ष्य की आवश्यकता है क्योंकि अफ्रीका का भविष्य उन्हीं के हाथों में है जिन्हें हर हालत में धन और सत्ता की लालसा के नये औपनिवेशीकरण से बचाना होगा। हानिकारक जीवन शैली के प्रलोभन पर काबू पाने के लिए सबसे प्रभावी तरीका है शिक्षा के क्षेत्र में विकास। शिक्षा अन्याय, हिंसा तथा जातीय विभाजन को भी दूर करने में मदद करती है। इस शैक्षिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण घटक है छात्रों की मेषपालीय देखभाल। स्कूलों में स्पष्ट रूप से सुसमाचार की घोषणा करना जरूरी है।
संत पापा ने परिवारों को सुदृढ़ करने के उपाय बतलाते हुए कहा कि कलीसिया द्वारा इसकी देखभाल की जानी चाहिए तथा उसके विकास हेतु सभी प्रयासों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्होंने परिवार के उत्थान हेतु अफ्रीका एवं मेडागास्कर की कलीसियाओं के प्रयास की सराहना की तथा एबोला महामारी से पीड़ित लोगों की सेवा तथा देखभाल के लिए उन्हें विशेष धन्यवाद दिया।
संत पापा ने सुसमाचार प्रचार तथा समाज सेवा हेतु प्रयासरत सभी पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं लोकधर्मियों की सराहना की। उन्होंने पवित्र आत्मा के सामर्थ्य का आह्वान करते हुए उनके प्रेरितिक कार्यों की सफलता हेतु उन्हें शुभकामनाएँ दी।
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