2015-02-04 12:29:00

सुसमाचार पर दैनिक चिन्तन आशा का है स्रोतः सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 4 फरवरी 2015 (सेदोक): वाटिकन स्थित सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में, मंगलवार को, ख्रीस्तयाग के अवसर पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने इब्रानियों के प्रेषित सन्त पौल के पत्र निहित आशा पर अपना चिन्तन प्रस्तुत किया।

प्रतिदिन सुसमाचार पर चिन्तन का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि इससे जीवन में आशा का संचार होता है। उन्होंने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे लोगों की बकवाद सुनने अथवा टेलेविज़न पर धारावाहिक आदि देखने के बजाय अपने दिन में से दस मिनट निकालकर कर सुसमाचार का पाठ करें तथा उसपर चिन्तन कर प्रभु में मन लगायें।

सन्त मारकुस रचित सुसमाचार के पाँचवे अध्याय के उस पाठ पर चिन्तन करते हुए जिसमें विशाल जनसमुदाय येसु के पीछे हो लिया था, सन्त पापा ने कहा, "आज आप केवल दस मिनट निकालिये और सुसमाचार का पाठ कीजिये, उसपर चिन्तन कीजिये तथा येसु से कुछ कहिये, और कुछ नहीँ। येसु पर आपके ज्ञान में वृद्धि होगी तथा आपमें आशा का संचार होगा।"

सुसमाचार पर चिन्तन कैसे करना है इसका उदाहरण देते हुए सन्त पापा ने कहाः "मैं येसु को विशाल समुदाय से घिरा देखता हूँ और मन ही मन सोचता क्या येसु कभी विश्राम नहीं करते थे? हमेशा ही उन्हें जन समुदाय से घिरा बताया गया है। येसु का अधिकांश जीवन लोगों के साथ सड़कों पर बीता, कब उन्होंने विश्राम किया? हाँ सुसमाचार बताते हैं कि एक बार नाव में वे विश्राम कर ही रहे थे कि तूफान आया और भयभीत शिष्यों ने उन्हें जगा दिया। येसु निरन्तर लोगों के साथ थे और उनपर चिन्तन कर मैं उन्हें लोगों के साथ देखता हूँ तथा मेरे मन में जो आता है मैं उनसे कहता हूँ।"

सन्त पापा ने कहा, "आज के सुसमाचार पाठ में येसु केवल विशाल जनसमुदाय को देख ही नहीं रहे थे अपितु उनमें से प्रत्येक के हृदय की धड़कन को सुन रहे थे, वे प्रत्येक की सुधि लेते हैं।" उन्होंने ने कहा कि अभी अभी उन्होंने जो किया वह सुसमाचार पर चिन्तन था, वह ध्यानपूर्वक की गई प्रार्थना थी। उन्होंने कहा, सुसमाचार का पाठ करना, उसमें निहित दृश्य की कल्पना करना, अपने आप को उसका अंग बनाना तथा येसु से बात करना ही सुसमाचार पर चिन्तन है जो हमें सच्ची आशा प्रदान करता है।      








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