2015-02-03 09:14:00

वाटिकन सिटीः आज्ञाकारिता से प्रस्फुटित होती है प्रज्ञा, आशा: सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 फरवरी 2015 (सेदोक): पुरोहितों एवं धर्मबहनों से सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि ईश्वर के प्रति आज्ञाकारिता से प्रज्ञा, आनन्द और आशा प्रस्फुटित होती है।

सोमवार को, येसु के मन्दिर में अर्पण महापर्व के अवसर पर विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया ने समर्पित जीवन सम्बन्धी 19 वाँ विश्व दिवस मनाया। सन्त पापा फ्राँसिस ने 30 नवम्बर सन् 2014 से 02 फरवरी सन् 2016 तक समर्पित जीवन वर्ष भी घोषित किया है। इस उपलक्ष्य में सोमवार को सन्त पापा ने वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसमें, हाथों में मोमबत्ती लिये, लगभग तीन हजार धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों भाग लिया।  

ख्रीस्तयाग प्रवचन में "आज्ञाकारिता" को समर्पित जीवन का केन्द्र बताकर सन्त पापा ने कहा, "धर्मसमाजी एवं धर्मसंघी व्यक्ति का हर्ष येसु के साथ स्वतः को निम्न बनाने है।" उन्होंने कहा, "जब हम उदास हैं, जब हम शिकायत करते हैं तब अपने आप से यह प्रश्न करना अच्छा होगा कि हम किस प्रकार अपने समर्पण को जी रहे हैं, किस प्रकार अपने जीवन में "किनोसिस" अर्थात् स्वतः को खाली करने का वरण कर रहे हैं।" 

सन्त पापा ने इस बात का स्मरण दिलाया कि येसु ख्रीस्त अपनी इच्छा की पूर्ति के लिये नहीं अपितु ईश इच्छा के प्रति आज्ञाकारी रहे।" उन्होंने कहा, "वह व्यक्ति जो येसु का अनुसरण कर आज्ञाकारिता का मार्ग अपनाता है और उनके सदृश अपने आप को खाली कर विनम्र और दीन हीन बना लेता है, सेवा के लिये सेवक बन जाता है, वही सच्चा समर्पित व्यक्ति हो सकता है।"  

सन्त पापा ने कहा कि ईश इच्छा के प्रति आज्ञाकारी रहने के साथ-साथ समर्पित व्यक्तियों को विनम्रतापूर्वक, अपने धर्मसमाजों एवं धर्मसंघों के नियमों का पालन करते हुए, कलीसिया के प्रति तथा अपने अध्यक्षों के प्रति भी आज्ञाकारी रहना चाहिये। उन्होंने कहा, "इस विनम्रता और आज्ञाकारिता को ठोस कार्यों में परिलक्षित होना चाहिये क्योंकि ये कोई वैचारिक तथ्य नहीं हैं।"

उन्होंने कहा कि सभी धर्मसंघियों एवं धर्मसमाजियों को येसु की आज्ञाकारिता से मार्गदर्शन ग्रहण कर इस पथ पर अग्रसर होना चाहिये क्योंकि प्रभु आज्ञाकारिता को, पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से,  प्रज्ञा में परिणत कर देते हैं। 








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