नई दिल्ली, सोमवार, 26 जनवरी सन् 2015 (ऊका समाचार): लिंग असंतुलन से निपटने के लिये भारत ने एक अभियान शुरु किया है।
इस सप्ताहान्त, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लड़कियों के प्रति अपने दकियानूसी एवं नकारात्मक रुख को बदलने के लिये भारत को प्रयास करना चाहिये।
"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" शीर्षक से लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिये आरम्भ भारत सरकार के अभियान का उदघाटन करते हुए उन्होंने कहा, "मैं बालिकाओं के जीवन को बचाने हेतु अनुरोध कर रहा हूँ।"
उन्होंने प्रश्न कियाः "यदि हम बेटियों को नहीं चाहेंगे तो हमारे यहाँ बहुएँ कहा से आयेंगी?"
प्रधान मंत्री मोदी ने इस अभियान की शुरुआत हरियाणा से की जहाँ लिंग असंतुलन देश में सबसे अधिक है।
श्री मोदी ने कहा, "हमारी मानसिकता अभी भी 18 वीं शताब्दी की है। समाज के तौर पर हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम बालिकाओं के प्रति समाज में चेतना जागृत करें।"
सन् 2011 की जनसंख्या के अनुसार भारत में 1000 लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या मात्र 943 है। जबकि हरियाणा में 1000 लड़कों की तुलना में लड़कियाँ केवल 879 ही हैं।
चिकित्सकों का भी प्रधान मंत्री मोदी ने आह्वान किया कि लिंग असंतुलन की समस्या को कम करने हेतु वे भी चयनात्मक गर्भपात को रोकें। उन्होंने चिकित्सकों से कहा, "समाज ने आपको डॉक्टर बनाया है लोगों की जान बचाने के लिये बच्चों की जान लेने के लिये नहीं।"
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