2015-01-23 15:44:00

चंगाई से बढ़कर है मुक्ति की प्राप्ति


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 23 जनवरी 2015 (सी.एन.एस)꞉ ″विश्वास की यात्रा, ईश्वर से चंगाई या समस्या में मदद पाने की स्वार्थी भावना से शुरू होती है किन्तु ख्रीस्तीय प्रौढ़ता में व्यक्ति अपने को शुद्ध करता तथा येसु को मुक्तिदाता के रूप में पहचानता है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 22 जनवरी को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कही।

प्रवचन में संत पापा ने सुसमाचार की उस घटना पर चिंतन किया जहाँ चंगाई पाने की आशा लिए लोग भीड़ के भीड़ येसु के पास आते थे।

संत पापा ने कहा, ″हम शुरू में विशुद्ध इरादों से ईश्वर का अनुसरण नहीं कर सकते। हम यह अपने लिए कुछ पाने और कुछ समय ईश्वर को देने के लिए करते हैं। यात्रा करने का अर्थ है इस स्वार्थी विचार को शुद्ध करना।″

उन्होंने कहा कि लोग येसु के पीछे चल रहे थे क्योंकि वे उस समय के यहूदियों नेताओं की शिक्षा से उब चुके थे। यहूदियों नेताओं ने कई प्रकार के नियम उनके कंधों पर डाल था किन्तु वह उनके हृदय तक नहीं पहुँचती थी जिसके कारण वे शोषित महसूस कर रहे थे। जब उन्होंने येसु को देखा और सुना तब उन्हें अपने अंदर परिवर्तन महसूस हुआ।

संत पापा ने कहा कि यही पवित्र आत्मा है जिसने उन्हें प्रेरित किया और वे येसु की खोज में बाहर निकले। येसु ने जिस तरह उन्हें प्रवचन दिया तथा शारीरिक चंगाई प्रदान की थी वह भी एक चंगाई ही थी जिसने लोगों को ईश्वर के साथ संबंध बढ़ाने और येसु को मुक्तिदाता के रूप में पहचानने हेतु प्रेरित किया।

संत पापा ने कहा कि येसु मुक्तिदाता हैं तथा हम उनके द्वारा बचा लिए गये हैं यही हमारे लिए सबसे महत्पूर्ण बात है और हमारे विश्वास की ताकत भी।

अतः जब हम किसी कारणवश दुखी महसूस करते हैं तब हम याद करें कि येसु हमारे लिए प्रार्थना करते हैं तथा वे निरंतर हमारी मध्यस्थता करते हैं।

 








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