2015-01-23 15:53:00

49 वें विश्व सामाजिक संप्रेषण दिवस पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 23 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ 49 वें विश्व सामाजिक संप्रेषण दिवस के अवसर पर प्रेषित अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने संचार माध्यमों को परिवार पर चिंतन केंद्रित करने की सलाह दी।

उन्होंने संदेश में लिखा कि इस पर ध्यान केंद्रित कर हमारे संचार माध्यमों को अधिक प्रामाणिक और मानवीय संचार माध्यम बनाया जा सकता है जिससे हमें परिवारों को एक नये दृष्टिकोण से देखने हेतु मदद मिलेगा।

49 वें विश्व संप्रेषण दिवस की विषय वस्तु है ‘परिवार’।

संत पापा ने कहा कि पवित्र धर्मग्रंथ में जब मरियम अपनी कुटुम्बनी एलिजाबेथ से मुलाकात करती है तो एलिजाबेथ के गर्भ में बच्चा खुशी से उछल पड़ता है तथा पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर एलिज़ाबेथ मरिया को ईश्वर की माता के रूप में पहचानती है।

यह घटना दर्शाता है कि संचार किस प्रकार शरीर की अभिव्यक्ति से जुड़ा है। मरिया के प्रणाम का पहला प्रत्युत्तर गर्भ में पल रहा बालक आनन्द के साथ देता है। संत पापा ने कहा कि दूसरों से मिलने के आनन्द को हम अपने जन्म के पूर्व ही सीख लेते हैं। संचार का प्रथम स्कूल गर्भ है जहाँ हम सुनते तथा शारीरिक संबंध द्वारा दुनिया के लोगों से जुड़ना सीखते हैं। दो व्यक्तियों के बीच यह मुलाकात इतनी गहरी थी कि उन्होंने दूर से ही एक-दूसरे को आनन्द से भर दिया। संप्रेषण में हमारा यही प्रथम अनुभव होना चाहिए।

संत पापा ने कहा कि यद्यपि हमारा जन्म हो चुका है किन्तु कुछ अर्थ में हम अब भी गर्भ में हैं। यह गर्भ है हमारा परिवार, हमारे प्रियजन जिनके घेरे में हम रहते हैं। एक परिवार जहाँ हम विभिन्नताओं के बावजूद जीना सीखते हैं। परिवार के सदस्य हमें स्वीकारते हैं क्योंकि हमारे बीच आपस में एक रिश्ता है। उम्र में फर्क होने पर भी हम उन से जुड़े रहते हैं क्योंकि यही संबंध हमारी भाषा की जड़ है। परिवार ही स्थान है जहाँ हम बोलना सीखते हैं।

भाषा के कारण हमारा जीना संभव है। भाषा सभी संचार माध्यमों का आदर्श है। संत पापा ने कहा कि इस संबंध को अनुभव करने के लिए संचार का सबसे बुनियादी रूप है ‘प्रार्थना’। जब माता-पिता बच्चों को सुलाते हैं तो वे उन्हें ईश्वर के हाथों सौंप देते हैं ताकि वे उसकी रक्षा करें। जब बच्चा बोलने लगता है तो परिवार के बड़े जन उन्हें प्रार्थना करना सिखलाते हैं। परिवार में दूसरों के प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना को बच्चा भी अनुभव करता और सीखता है। वह ईश्वर पर भरोसा करना सीखता है।

परिवार में जब दूसरों को स्वीकारा तथा मदद किया जाता है तो उस बच्चे के लिए यह एक अच्छा उदाहरण होता है। वह विभिन्न परिस्थितियों में अपने को अभिव्यक्त करना सीखता है। यही संचार माध्यम के अर्थ को समझने में मदद करता है कि किस प्रकार उसके द्वारा हम एक-दूसरे के करीब आते हैं। परिवार ही वह जगह है जहाँ हम अपनी कमज़ोरियों और सीमाओं से अवगत होते हैं। ऐसा कोई भी परिवार नहीं है जहाँ किसी प्रकार की समस्या न हो। हम गलतियाँ करते, क्षमा देते तथा एक-दूसरे का सम्मान करना सीखते हैं।

दुनिया में जहाँ लोग भाषा का प्रयोग अक्सर अभिशाप देने, दूसरों के लिए अपशब्द बोलने तथा उनकी निंदा करने हेतु करते हैं वहीं परिवार संचार माध्यम को एक वरदान के रूप में प्रस्तुत करता है। अतः परिवार को समाज की समस्या के रूप में नहीं किन्तु एक संसाधन के रूप में देखना चाहिए।

परिवार अपने सद् उदाहरण तथा रिश्तों की मधुरता एवं समृद्धि का साक्ष्य प्रस्तुत करे जिससे कि हम एक आदर्श विश्व का निर्माण कर सकें।

 








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