2015-01-18 14:34:00

हम ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ बनने के लिए बुलाये गये हैं


मनीला, रविवार, 18 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 18 जनवरी को फिलीपींस के मनीला स्थित रिज़ाल पार्क में युखरिस्तीय बलिदान के अवसर पर उपस्थित हज़ारों श्रद्धालुओं को विश्वास में एशिया के ‘उत्कृष्ट मिशनरी’ बनने का निमंत्रण दिया।  

अपने प्रवचन में संत पापा ने फिलीपींस को एशिया में एक सबसे महत्वपूर्ण कैथोलिक देश कहा जो अपने आप में ईश्वर का एक विशेष वरदान है, उनकी आशीष तथा उनका निमंत्रण है।

संत पापा ने याद दिलाया कि हम में से प्रत्येक ईश्वर द्वारा चुना गया है ताकि इस दुनिया में उनकी सच्चाई एवं उनके न्याय का साक्ष्य देते हुए सृष्टि की रक्षा करे किन्तु मानव ने, संत पापा ने कहा, ″अपने पापों द्वारा प्राकृतिक सौंदर्य को विकृत कर दिया है। एकता एवं मानव परिवार की सुन्दरता को नष्ट कर उसने एक ऐसे समाज की रचना की है जिसमें ग़रीबी, अज्ञानता और भ्रष्टाचार जैसी बुराईयाँ भरी हैं।″

संत पापा ने बुराईयों के पिता झूठ से बचने की सलाह दी और कहा कि झूठ अपना फंदा कृत्रिमता के पीछे छिपाये रखता है तथा आधुनिक फैशन के पीछे पड़ने का प्रलोभन देता है। हम उसके प्रलोभन में पड़कर अल्पकालिक सुख और सांसारिक माया की ओर आकर्षित हो जाते एवं ईश्वर प्रदत्त वरदानों के साथ खिलवाड़ करते हैं। हम जुआ और शराब पीने के आदी होकर बुरी लतों में अपने पैसे खर्च करते हैं।  

फिलीपींस की कलीसिया आज ‘पवित्र बालकपन’ का पर्व मना रही है। इस अवसर पर संत पापा ने उन्हें अपने आदर्श के रूप में पिलीपींस के संरक्षक बालक येसु की ओर दृष्टि डालने तथा परिवार की रक्षा के महत्व पर चिंतन करने का आग्रह किया।  

उन्होंने सभी माता-पिताओं से कहा कि वे अपने बच्चों को एक वरदान के रूप में स्वीकार करते हुए उनकी देखभाल एवं रक्षा करें। उन्होंने याद दिलाया कि युवाओं को भी हमारी देखभाल की आवश्यकता है ताकि वे आशा न खोयें तथा गलियों में भटकते न फिरें।

संत पापा ने फिलीपींस के सभी लोगों से आग्रह किया कि वे न्याय, अखंडता और शांति निर्माण हेतु कार्य करें।

 

पूर्ण प्रवचन-

संत पापा ने प्रवचन में नबी इसायस के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ नबी लिखते हैं, ″हमारे लिए एक बालक उत्पन्न हुआ है,  हम को एक पुत्र मिला है।″(इसा. 9.5)

संत पापा ने कहा, ″यह मेरे लिए बड़े हर्ष की बात है कि मैं आपके साथ पवित्र बालकपन का त्यौहार मना रहा हूँ। पावन बालक येसु ने इस देश में सुसमाचार प्रचार हेतु आरम्भ से भी साथ दिया है। एक राजसी वस्त्र धारण कर, राज मुकुट पहने तथा प्रभुत्व सम्पन्न, हाथ में ग्लॉब एवं क्रूस पकड़े वे ईश राज्य एवं आध्यात्मिक बालकपन के बीच रहस्यात्मक संबंध को दर्शाते हैं।

सुसमाचार में येसु कहते हैं, ″जो छोटे बालक की तरह ईश्वर का राज्य ग्रहण नहीं करता, वह उस में प्रवेश नहीं करेगा।″ (मार. 10.15) बालक येसु यह भी बतला रहे हैं कि ईश्वर की कृपा के प्रकाश ने अंधकार में भटकने वालों के लिए दासता से मुक्ति तथा शांति, मानव अधिकार एवं न्याय के रास्ते पर बढ़ने हेतु सुसमाचार का संदेश लाया है।

संत पापा ने कहा कि बालक येसु हमें यह भी याद दिला रहे हैं कि हम सुसमाचार के संदेश वाहक बनने हेतु चुने गये हैं। हम सभी ईश्वर की संतान हैं। उनके दत्तक पुत्र-पुत्रियाँ होने के कारण ख्रीस्त में एक-दूसरे के भाई एवं बहन हैं। यही हमारी सच्ची पहचान है। आंधी की तबाही के समय आप सभी ने इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है। 

प्रेरित हमें बतलाते हैं कि चूँकि ईश्वर ने हमें चुना है अतः हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ है ″उसने मसीह द्वारा हम लोगों को स्वर्ग के हर प्रकार के आध्यात्मिक वरदान प्रदान किये हैं।″(एफे.1.3) इन शब्दों की गूँज फिलीपींस में ख़ास है क्योंकि एशिया भर में यह एक सर्वाधिक काथलिक बहुल देश है। यह ईश्वर की विशेष कृपा है किन्तु यह उनकी ओर से एक निमंत्रण भी है।  

ईश्वर ने हमें एक उद्देश्य के तहत चुना और आशीष प्रदान किया है ताकि हम उनकी दृष्टि में पवित्र और निष्कलंक बनें। (एफे-1.4) उन्होंने हम प्रत्येक को विश्व में सत्य एवं न्याय का साक्ष्य देने के लिए चुना है किन्तु पाप द्वारा मानव ने प्राकृतिक सुन्दरता को नष्ट कर दी है तथा एक ऐसे समाज का निर्माण किया है जिसमें ग़रीबी, अज्ञानता एवं बुराई फैली है।

जब हम अपने आस-पास समस्याओं, कठिनाइयों और हर प्रकार की अव्यवस्था देखते हैं हम उनसे भागना चाहते हैं। हमें सुसमाचार की बातें सच्ची प्रतीत नहीं होतीं किन्तु बाईबल हमें बतलाती है कि ईश्वर की योजना हम सभी के लिए है और सदा रहेगा। झूठ बुराई का पिता है वह बहुधा अपने फंदे को कृत्रिमता के पीछे छिपा लेता है और हम भी दूसरों के समान आधुनिक बनने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं।  

हम क्षणिक सुख एवं सांसारिक माया के प्रलोभन में पड़ते हैं इस प्रकार ईश्वर प्रदत वरदान के साथ खिलवाड़ करने लगते हैं। जुआ और शराब में अपने पैसे खर्च करने लगते हैं और यह भूल जाते हैं कि वास्तव में किस चीज की आवश्यकता है। यही पाप है। अतः पवित्र बालकपन का संदेश हमें अपनी पहचान की याद कराता है कि हम ईश्वर के परिवार के सदस्य बनने के लिए बुलाये गये हैं।

वह हमें यह भी याद दिलाता है कि हम इस पहचान की रक्षा करें।

संत पापा ने कहा कि बालक येसु फिलीपींस के रक्षक हैं। जब वे इस संसार में आये तो उनका जीवन भी एक दुष्ट राजा द्वारा नष्ट किये जाने के जोखिम में पड़ा था। येसु को भी सुरक्षा की आवश्यकता थी। उस समय उनके पालक पिता जोसेफ ने उनकी रक्षा की थी।

संत पापा ने कहा कि बालक येसु हमें परिवार की रक्षा किये जाने का महत्व बतलाते हैं। कलीसिया ईश्वर का एक बृहद परिवार है तथा संसार एक बृहद मानव परिवार। आज यह परिवार संकट में हैं अतः इसकी रक्षा किये जाने की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा सुसमाचार में येसु बच्चों को अपने पास बुलाते, उनका आलिंगन करते तथा उन्हें आशीर्वाद देते हैं। हमें भी उनकी रक्षा करनी चाहिए। युवाओं का मार्ग-निर्देशन किया जाना एवं उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्हें एक ऐसे समाज के निर्माण हेतु मदद की जानी चाहिए जो आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के योग्य हो। हमें अपने बच्चों की मदद करनी चाहिए ताकि वे आशा न खों दें एवं गलियों में न भटकते रहें।

येसु एक कमजोर बालक के रूप में जन्म लिए जिन्हें सुरक्षा की आवश्यकता थी किन्तु उन्होंने ईश्वर की भलाई, करूणा और न्याय को इस संसार में लाया। उन्होंने बेईमानी एवं बुराई का विरोध किया तथा क्रूस की शक्ति द्वारा उन पर विजय पायी। बालक येसु देश के सभी नागरिकों को एक साथ कार्य करने और एक-दूसरे की रक्षा करने की प्रेरणा दे ताकि परिवार, समुदाय और दुनिया में न्याय, अखंडता एवं शांति का राज्य स्थापित हो। बालक येसु फिलीपींस के सभी नागरिकों को आशीष प्रदान करें जिससे कि इस महान देश के सभी ख्रीस्तीय धर्मानुयायी सुसमाचार के आनन्द का साक्ष्य प्रस्तुत करने के अपने बुलावे को एशिया एवं विश्व में जारी रख सकें।

 








All the contents on this site are copyrighted ©.