2015-01-18 10:29:00

उत्साह और साहस से ईशप्रेम का साक्ष्य दें


मनीला, रविवार 18 जनवरी, 2015 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने फिलीपीन्स की प्रेरितिक यात्रा के चौथे दिन रविवार 18 जनवरी को मनीला में स्थित सन्तो थोमस युनिवर्सिटी में हज़ारों की संख्या में उपस्थित फिलीपीनो युवाओं को संबोधित किया।

संत पापा ने कहा, "मैं आपलोगों से विशेष रूप से मिलना चाहता था, सुनना चाहता था और आपलोगों के बीच होना चाहता था। मैं आपलोगों को सस्नेह इस बात को बताना चाहता हूँ कि मैं आपको प्यार करता हूँ क्योंकि आप कलीसिया की आशा हैं। "

संत पापा ने कहा कि वे फिलीपीनो युवाओं को इस बात के लिये प्रोत्साहित करना चाहते हैं कि वे उत्साह और ईमानदारी से समाज के नवनिर्माण में तथा इस दुनिया को बेहतर बनाने में अपना योगदान दें।

युवा प्रतिनिधियों द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा कि उनके पास सबकुछ का जवाब नहीं है फिर भी आप अपने धर्माध्यक्षों से मिलकर प्रार्थनापूर्ण वातावरण में कई ठोस कदम उठा कर समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि वे तीन बातों को बताना चाहते हैं जो राष्ट्र के लिये अनुपम योगदान होगा। चुनौती - जिसे हमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरीकों से ले सकते हैं। हमारी ईमानदारी को लालच, ग़ैरवफादारी, और दूसरों को वस्तुओं के समान व्यवहार करने का प्रलोभन बर्बाद कर सकता है, सच्चाई, अच्छाई और भलाई के पथ से भटकने का प्रलोभन देता है।  

चुनौती को एक आमंत्रण के रूप में देख सकते हैं । साहस और उत्साह के साथ अपने विश्वास और उन बातों को जिन्हें हम पवित्र मानते हैं उनका साक्ष्य देने का आमंत्रण।

 

प्रेम करना भी एक चुनौती है आमंत्रण है। युवा, आप डरें नहीं और प्रेम को भी वफादारी और ईमानदारी से निभायें। आपको पवित्र आत्मा का वरदान प्राप्त है, जो प्रेम की राह में आने वाली हर चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने में आपको मदद देगा। आप अपने जीवन को प्रार्थना और पवित्र यूखरिस्त से प्राप्त शक्ति परिपोषित कीजिये आप उस उँचाई को प्राप्त करेंगे जिसे येसु आपसे चाहते हैं।

 

दूसरा महत्वपूर्ण शब्द है - पर्यवरण की रक्षा। सृष्टि का सम्मान और उसकी रक्षा कीजिये। इसका गहरा अर्थ है - ईश्वर के सृष्टि की मुक्ति योजना को ईश्वरीय आँखों से देखना, मानव मर्यादा को ईश्वर की आँखों से देखना।

तीसरा महत्वपूर्ण शब्द है - गरीबों की मदद करना। चाहे हमारे पास जितना भी कम क्यों न हो, हम इसलिये बुलाये गये हैं कि हम ज़रूरतमंदों की मदद करें। एक व्यक्ति को अपनी दोस्ती, अपनी सहायता और अपना प्रेम येसु को दिखाकर दे सकते हैं।

येसु को पाना जीवन में सबकुछ पाना है और येसु को देना सबसे बड़ा उपहार।  

संत पापा ने कहा कि मैं आपको प्रोत्साहन देता हूँ कि आप अधिक दीजिये अधिक कीजिये। अपने जीवन, समय, अपने स्रोत और अपने गुणों को दूसरों को बाँटने से आपने कई लोगों के जीवन को बदल सकते हैं।

आप एक ऐसा युवा बनो जो अपने राह से न भटकता हो, जो प्रसन्न हो, जो ईशप्रेम का साक्ष्य देता हो जो दुनिया में प्रेम की सभ्यता के विस्तार के लिये लालायित हो।

 

 








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