2015-01-17 15:41:00

जीवन की कठिनतम परिस्थितियों में येसु हमारे साथ


फिलीपींस, शनिवार, 17 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 17 जनवरी को फिलीपींस के ताकलोबान शहर में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में फिलीपींस वासियों के दुःखों के प्रति सहानुभूति प्रकट की तथा कहा कि इस दुःखद पल में क्रूसित ख्रीस्त उनके साथ हैं।

 

उन्होंने कहा, ″हमारे पास एक महापुरोहित हैं जो हमारी कमजोरियों में हमसे पूर्ण सहानुभूति रखने के योग्य हैं। येसु हमारे ही समान हैं। उन्होंने हमारे समान जीया तथा पाप को छोड़ सभी बातों में हमारी तरह रहे। हमारे साथ एक होने के लिए उन्होंने हमारी परिस्थितियों एवं पापों को अपने ऊपर लिया।″

संत पापा ने कहा कि येसु सदा हमारे आगे चलते हैं और जब हम दुःखद परिस्थिति से होकर गुजरते हैं तो वे भी उस दुःख का अनुभव करते हैं। समुद्री आंधी के 14 महीनों बाद जब हम अपने आपको यहाँ पाते हैं तो इसका अर्थ है कि हम अपने विश्वास में कमजोर नहीं हैं क्योंकि येसु हमारे साथ हैं। अपने दुःखभोग द्वारा उन्होंने हमारे सारे दुःखों को हर लिया है।

 

संत पापा ने अपने हृदय की बात लोगों के समक्ष रखते हुए कहा, ″रोम से जब मैंने उस तबाही को देखा तभी मुझे लगा कि मुझे वहाँ होना चाहिए और मैंने फिलीपींस की यात्रा करने का निर्णय लिया। अब जरा देर से ही सही किन्तु मैं आप के साथ हूँ। मैं आपको बतलाने आया हूँ कि येसु प्रभु हैं और वे हमें कभी गिरने नहीं देते।″ संत पापा ने कहा, ″आप कह सकते हैं कि हमने बहुत कुछ खोया है, घर एवं जीविका भी खो दी है। यह सच है और मैं इस विचार का सम्मान करता हूँ किन्तु आपको बतलाना चाहता हूँ कि येसु यहाँ उपस्थित हैं, वे कीलों द्वारा ठोंके गये हैं और उसके द्वारा वे हमें निराश होने नहीं देते। येसु ही प्रभु हैं। क्रूस के साथ वे उसी तरह आपके साथ हैं जिस तरह आप पीड़ित हैं। हमारे साथ ऐसे प्रभु हैं जो जीवन की कठिनतम परिस्थितियों में हमारे साथ रोते और चलते हैं।″

संत पापा ने कहा कि आप सभी ने बहुत कुछ खोया है। मुझे मालूम नहीं कि मैं आपको किस प्रकार सांत्वना दूँ। यदि मैं आपके लिए कुछ कर सकूँ तो सिर्फ एक चीज़, मौन रहकर आपके दुखों की गहराई का अनुभव करने का प्रयास करूँ। मेरे पास कहने को कोई शब्द नहीं रह गया है। हम प्रभु की ओर निहारें क्योंकि वे हमारे सारे दुःखों को समझते हैं। क्रूस के बगल में माता मरियम खड़ी थी। हम माता मरियम का हाथ पकड़कर एक भयभीत बालक की तरह ‘माता’ पुकारें। यही एक शब्द है जिसको हम हर कठिनाई के समय उच्चारण करते हैं।

हम कुछ क्षण मौन रहकर क्रूसित येसु की ओर निहारें वे हमें पूरी तरह समझते हैं। हम एक बालक की तरह माता मरिया की ओर भी दृष्टि लगायें और उनका हाथ पकड़ कर सच्चे हृदय से उन्हें माता पुकारें। हम अकेले नहीं हैं, हमारे कई भाई- बहनें हैं जिन्होंने तबाही में हमारी मदद की।

संत पापा ने अंत में कहा, ″मेरे पास इतना ही शब्द है मुझे माफ करें क्योंकि अपने को प्रकट करने के लिए इससे ज्यादा मेरे पास शब्द नहीं है। येसु आपको कभी निराश होने नहीं देंगे। आइये, हम प्रभु में एक भाई-बहन की तरह आगे बढ़ें।

 

 








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