2015-01-14 12:50:00

मधु, श्री लंकाः श्री लंका के विख्यात मरियम तीर्थ पर सन्त पापा फ्राँसिस


मधु, श्री लंका, बुधवार, 14 जनवरी 2015 (सेदोक): कोलोम्बो से लगभग 250 किलो मीटर की दूरी पर स्थित मधु नगर के मरियम तीर्थ पर बुधवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने श्रद्धासुमन अर्पित कर प्रार्थना की।

कोलोम्बो समयानुयार प्रातः साढ़े नौ बजे सन्त पापा का हेलिकॉप्टर मधु के हवाई अड्डे उतरा। श्री लंका के उत्तरी क्षेत्र स्थित मधु नगर में तमिल जाति के लोगों का वर्चस्व है। यह नगर एवं यहाँ का विख्यात मरियम तीर्थ मन्नार धर्मप्रान्त के अन्तर्गत आता है। काथलिक धर्मानुयायियों की संख्या इस धर्मप्रान्त में लगभग एक लाख है। मरियम तीर्थ पर केवल काथलिक ही नहीं किन्तु सम्पूर्ण देश के बौद्ध, हिन्दू एवं इस्लाम धर्मानुयायी भी मन्नतें मांगने तथा श्रद्धा अर्पित करने आते हैं।

मधु के मरियम तीर्थ का इतिहास चार सदियों लम्बा है। सन् 1544 ई. में जाफ़ना के राजा सांकिली ने, पुर्तगाली मिशनरियों से प्रभावित, ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन करनेवाले मन्नार के 600 काथलिकों को मौत के घाट उतार दिया था। कुछेक काथलिक धर्मानुयायी नरसंहार से बच निकले थे जिन्होंने जंगल में माँ मरियम की एक प्रतिमा स्थापित कर दी थी। आराधना अर्चना के लिये ये काथलिक यहीं एकत्र हुआ करते थे किन्तु सन् 1583 ई. में एक बार फिर ख्रीस्तीयों को मन्नार से भागना पड़ा और उन्होंने जंगल में ही छोटे-छोटे गिरजाघरों का निर्माण आरम्भ कर दिया। इन्हीं में से एक गिरजाघर मधु की माँ मरियम के तीर्थ रूप में विख्यात हो गया। सन् 1656 ई. में एक बार फिर काथलिक धर्मानुयायियों को मधु नगर और आस पास के क्षेत्रों से भागना पड़ा। इस समय हॉलैण्ड के कैलवनिस्ट प्रॉटेस्टेण्ट मिशनरियों ने काथलिकों के विरुद्ध दमन चक्र आरम्भ कर दिया था। लगभग तीस काथलिक परिवार एकजुट हुए और मधु की मरियम प्रतिमा को एक गाँव से दूसरे गाँव में लेकर भागते रहे। सन् 1670 ई. में हॉलैण्ड उपनिवेशियों एवं कैलवनिस्ट मिशनरियों के दमनकाल की समाप्ति पर वे पुनः मरियम प्रतिमा को मधु लेकर आये तथा यहाँ मरियम के आदर में एक तीर्थ की स्थापना कर दी। मधु नगर के तीर्थ पर यही मरियम प्रतिमा आज भी सभी धर्मों के अनुयायियों के लिये श्रद्धा का लक्ष्य बनी हुई है।

मरियम तीर्थ के प्राँगण में 14 जनवरी को सन्त पापा फ्राँसिस का आशीर्वाद लेने लगभग पाँच लाख श्रद्धालु उपस्थित हुए। तीर्थयात्रियों की ओर से मन्नार के धर्माध्यक्ष जोसफ रायाप्पा ने सन्त पापा का हार्दिक स्वागत किया।

तीर्थयात्रियों को दिये सन्देश में सन्त पापा ने शांति की रानी मरियम से प्रार्थना की अपील की क्योंकि मरियम ही क्षमादान के कठिन प्रयास एवं शांति स्थापना हेतु हमें साहस एवं मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं।  

   








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