2015-01-13 13:04:00

देश के पुनःनिर्माण हेतु मानव प्रतिष्ठा का ध्यान आवश्यक


कोलंबो, मंगलवार, 13 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ एशियाई देशों की प्रेरितिक यात्रा में संत पापा फ्राँसिस 13 जनवरी को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुँचे जहाँ श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला श्रीसेना एवं अन्य अधिकारियों ने उनका हार्दिक स्वागत किया।

संत पापा ने उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए श्रीलंका के प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृद्ध संस्कृति की प्रशंसा की। उन्होंने उन सभी को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस प्रेरितिक यात्रा का आयोजन किया है।

संत पापा ने प्रेरितिक यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति एवं सभी सरकारी अधिकारियों को सम्बोधित कर कहा, ″मेरी यात्रा मुख्य रूप से प्रेरितिक है। सर्वव्यापी काथलिक कलीसिया की प्रेरिताई के तहत मैं आप सभी से मुलाकात कर आपको प्रोत्साहन देने तथा आपके लिए प्रार्थना करने आया हूँ। इस यात्रा का केंद्र है धन्य जोसेफ वाज़ की संत घोषणा समारोह जो ख्रीस्तीय उदारता एवं सभी जातियों और धर्मों के सम्मान हेतु हमारे आदर्श हैं। उनका यह आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है।″ संत पापा ने प्रेरितिक यात्रा के दूसरे महत्वपूर्ण उद्देश्य पर कहा कि काथलिक कलीसिया श्रीलंका के प्रति अपने स्नेह को प्रदर्शित करना चाहती है साथ ही, वह चाहती है कि सभी विश्वासी इस समाज के जीवन में सक्रिय रूप से भाग लें। 

संत पापा ने विश्व में चल रहे संघर्ष पर चिंता व्यक्त की तथा याद किया कि श्रीलंका में भी विगत वर्षों भयावह हिंसक संघर्ष हुए जो अब शांत हो चुके हैं और वह अपने बीच शांति तथा चंगाई लाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, ″संघर्ष के कारण उत्पन्न अन्याय, दुश्मनी और अविश्वास की कड़ुवाहट से बाहर आना आसान काम नहीं है किन्तु बुराई पर भलाई तथा मेल-मिलाप, सद्भावना एवं शांति को प्रोत्साहन देकर इस पर विजय पायी जा सकती है। चंगाई की प्रक्रिया, सच्चाई की परख की मांग करती है। यह पुराने घाव को खोलना नहीं वरन न्याय, चंगाई और एकता को बढ़ावा देना है। संत पापा ने श्रीलंका के नागरिकों को याद दिलाते हुए कहा कि सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि वे आपस में मेल-मिलाप बढ़ाने तथा देश के पुनःनिर्माण हेतु अपना योगदान दें।

देश के पुनःनिर्माण हेतु बुनियादी सुविधाओं एवं भौतिक आवश्यकताओं का विकास करना आवश्यक है किन्तु मानव प्रतिष्ठा का ध्यान रखना, मानव अधिकार का सम्मान करना एवं सभी नागरिकों के प्रति समान दृष्टिकोण बनाये रखना भी अति आवश्यक है। 








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