2015-01-08 15:25:00

समर्पित जीवन के वर्ष का उद्घाटन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 1 दिसम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में रविवार 30 नवम्बर को, समर्पित जीवन की संस्थाओं के लिए बने परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल जॉ ब्राज़ दी अविज़ ने समारोही पावन ख्रीस्तयाग अर्पित कर, समर्पित जीवन के वर्ष का उद्घाटन किया।

उन्होंने प्रवचन में काथलिक कलीसिया की धर्मविधिक पंचांग के अनुसार नव वर्ष की शुरूआत तथा इसकी विषयवस्तु ‘समर्पित जीवन’ की महता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ″ प्रिय भाइयो एवं बहनो,

आज हम विश्वव्यापी कलीसिया के साथ धर्मविधिक पंचांग के अनुसार नये वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और जिसकी शुरूआत हम आगमन काल से करते हैं। इस काल में हम अपने जीवन तथा ख्रीस्तीय समुदाय में ख्रीस्त जयन्ती अच्छी तरह मनाने हेतु तैयारी करते हैं और साथ ही, दुनिया के अंत में ख्रीस्त के दूसरे आगमन की भी तैयारी करते हैं। ख्रीस्तीय आशा के कारण हम स्वर्ग की ओर दृष्टि लगाते हैं तथा जागरूक होकर प्रभु का स्वागत करने की तैयारी करते हैं जो प्रत्येक दिन हमारे साथ रहते हैं और अंतिम दिन अपनी पूरी महिमा के साथ आयेंगे।″

कार्डिनल ने जागरण प्रार्थना की याद दिलाते हुए कहा कि बीती रात हम में से कई लोग संत मरिया मेजर महागिरजाघर में जागरण प्रार्थना में भाग लिया, जिस प्रकार संत पापा किया करते हैं।
हमने समर्पित जीवन के वर्ष के रास्ते एवं उसके परिणाम को माता मरिया को चढ़ाया, ईशवचन का पाठ किया, समर्पित जीवन पर कलीसिया की धर्मशिक्षा तथा हमारे संस्थापकों का साक्ष्य सुना। कई विशिष्ताओं के साथ हम भाई-बहनों की तरह अपनी प्रार्थना को प्रभु एवं उनकी माता मरियम के सम्मुख रखा।

कार्डिनल ने कहा कि संत पापा की तीव्र अभिलाषा थी कि इस समय हमारे साथ रहें क्योंकि समर्पित जीवन के वर्ष की शुरूआत पावन ख्रीस्तयाग से करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

कार्डिनल जॉ ने समर्पित जीवन का वर्ष घोषित करने के संत पापा के विचार को रखते हुए कहा कि यद्यपि वे तुर्की की यात्रा में हैं जहाँ वे प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो से मुलाकात करेंगे तथा मुसलमान भाई-बहनों के साथ वार्ता को मज़बूत करेंगे, तथापि प्रार्थना में वे हमारे साथ हैं। उन्होंने वर्ष 2015 को समस्त कलीसिया के धर्मसमाजी भाई-बहनों के लिए समर्पित किया है।

समर्पित जीवन वह जीवन है जिसमें एक धर्मसमाजी, सुसमाचारी सलाहों꞉ गरीबी, शुद्धता एवं आज्ञापालन द्वारा ईश्वर के प्रेम को स्वीकार करता तथा उनके प्रेम में संयुक्त होकर जीवन जीता है। अतः हम समर्पित जीवन के इस वर्ष की शुरूआत ख्रीस्तीय आशा से करें क्योंकि प्रभु अपनी करुणा में विश्वस्त हैं, वे हमारे बेवफ़ाई को निष्ठा में बदल देते हैं। अतः जो उन पर भरोसा रखते हैं उन्हें कभी निराश नहीं होना पड़ेगा।

कार्डिनल ने सभी धर्मसमाजी भाई बहनों को सम्बोधित कर कहा, ″नबी इसायस के समान हम भी प्रभु द्वारा दया किये जाने की आवश्यकता महसूस करते हैं। नबी कहते हैं, ″प्रभु! तू यह क्यों होने देता है कि हम तेरे मार्ग छोड़ कर भटक जायें और कठोर-हृदय बन कर तुझ पर श्रद्धा न रखें? प्रभु! हमारे पास लौटने की कृपा कर, हम तेरे सेवक और तेरी प्रजा हैं।″ (इसा.63꞉17)

उन्होंने कहा ईश्वर पर यह आस्था जो एक पिता हैं हम येसु के शिष्य इस संबंध को अनुभव कर सकें। जो हमें उत्साह प्रदान करता है। वास्तव में, ख्रीस्त जयन्ती के दिन प्रभु मानव बन कर हमारे बीच आये। वे हम में से एक बन गये। ″यह कभी सुनने या देखने में नहीं आया कि तेरे ही समान कोई देवता अपने पर भरोसा रखने वालों के साथ ऐसा व्यवहार करें।″ (इसा. 64꞉3)

इस कारण हम समर्पित जीवन की शुरूआत करते हुए कहते हैं, ″ प्रभु! तू हमारा पिता है। हम मिट्टी हैं और तू कुम्हार है, तूने हम सबों को बनाया है।″(इसा. 64꞉7)
कार्डिनल ने संत मारकुस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि इसमें हम येसु के निमंत्रण को सुनते हैं, ″तुम नहीं जानते कि घर का स्वामी कब आयेगा- शाम को, आधी रात को, मुर्गे के बाँग देते समय या भोर को इसलिए जागते रहो।″( मार.13꞉35)
उन्होंने कहा, ″मिट्टी के लोंदे की तरह जितना अधिक हम पिता के हाथों द्वारा गढ़े जाते हैं हम उनके हाथों में उतनी ही सुरक्षित सुरक्षा महसूस करते हैं, हम उतने ही अधिक उनके साथ चलते तथा जब वे हमारे पास आते हैं तो उतना ही साहस एवं जागरूक के साथ उनका स्वागत करते हैं। समर्पित जीवन को अर्पित यह वर्ष इस अनुभव में गहराई प्रदान करेगा।
उन्होंने समर्पित जीवन के वर्ष के लिए संत पापा फ्राँसिस द्वारा धर्मसमाजी भाई-बहनों के लिए लिखे प्रेरितिक पत्र, ″आनन्द का साक्ष्य″ को प्रस्तुत किया।
1.″जहाँ धर्मसमाजी रहते हैं वह आनन्द का निवास है। हम यह अनुभव करने तथा साक्ष्य देने के लिए बुलाये गये हैं कि ईश्वर हमारे हृदय को आनन्द से परिपूर्ण कर देने में समर्थ हैं और हमें आनन्द की खोज अन्यत्र करने की आवश्यकता नहीं है।″
2. मैं आशा करता हूँ कि आप दुनिया को जगायें क्योंकि समर्पित जीवन का स्वभाव है भविष्यवाणी। धार्मिकता के लिए सुसमाचार के मूलसिद्धांत का पालन मात्र आवश्यक नहीं है किन्तु धर्मसमाजी ख्रीस्त का एक विशेष रीति से अनुसरण करते हैं, एक नहीं के समान। हमारे लिए यही प्राथमिक है कि पृथ्वी पर हम एक नबी के समान येसु के जीवन का साक्ष्य प्रस्तुत करें। एक धर्मसमाजी को नबी के कार्य का परित्याग कभी नहीं करना चाहिए।
3. अन्य समर्पित लोगों की तरह धर्मसमाजी पुरूषों एवं महिलाओं की विशेषता है एक समुदाय का निर्माण करना। अतः मैं आशा करता हूँ कि संत पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा बतलाये गये ‘समुदाय की आध्यात्मिकता’ के अनुसार आप समझदारी में बढ़ रहे हैं। इस नये युग में हमारे लिए समस्या है कलीसिया को अपना घर एवं एकता का स्कूल समझना।
4. मैं पुनः आप से आशा करता हूँ कि कलीसिया के सभी सदस्य अपने आप से बाहर आकर अन्य क्षेत्रों में जाएँ। येसु का अंतिम वाक्य था ″समस्त संसार में जाओ।″ आज वही वाक्य आज हमें आह्वान दे रहा है, हमें बाहर जाना है क्योंकि सभी लोग हमारा इंतजार कर रहे हैं।
5. मैं आशा करता हूँ कि सभी प्रकार के समर्पित जीवन ईश्वर द्वारा मानुष्यों की आवश्यकता के आधार पर हुई है। दुनिया की आवश्यकताओं पर ध्यान देकर तथा पवित्र आत्मा के प्रति उदार होकर हम समर्पित जीवन के इस वर्ष को सार्थक बनायें तथा इसे ईश्वर की आपार कृपा एवं मन-परिवर्तन का सुअवसर बनायें।
संत पापा ने प्रेरितिक पत्र में सुसमाचार, नबी तथा आशा का संदेश है हम माता मरिया से प्रार्थना करें कि हम उसका अनुभव कर सकें।

 








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