वाटिकन सिटी, बुधवार 7 जनवर, 2015 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के
कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला
में अगले वर्ष परिवार की बुलाहट और मिशन विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए
हम परिवार पर चिन्तन करना जारी रखें।
ख्रीस्त जयन्ती का त्योहार मनाते हुए हमने तस्वीरों में देखा कि माता मरिया ने येसु अपने
पुत्र को दुनिया को दे दिया । आज हम माता मरिया से प्रेरित होकर समाज तथा कलीसिया के
लिये एक माँ की भूमिका पर चिन्तन करें।
जब हम एक माँ के जीवन पर चिन्तन करते हैं तो हम पाते हैं कि माँ जीवन का प्रतीक चिह्न
है। माँ बलिदान का प्रतीक है जिसके लिये उन्हें सम्मान दिया जाता है जो उचित है। यदि
उनके बलिदान के लिये उचित आदर नहीं किया जाता है तो यह अच्छा नहीं है।
माताओं का जीवन स्वार्थ भावना के विपरीत है, उदारता तथा दूसरों के प्रति सहानुभूति के
अभाव की भावना के विपरीत है।
इस प्रकार से हम पाते हैं कि मातृत्व की भूमिका बच्चों के जन्म देना मात्र नहीं हैं।
मातृत्व का अर्थ है जीवन को गले लगाना, जीवन का सम्मान करना, अपने जीवन का बलिदान करना
और इन्ही मानवीय और धार्मिक मूल्यों को उन्हें दूसरों को भी बाँटना है ताकि एक अच्छे
समाज का निर्माण हो सके।
एक बार महाधर्माध्यक्ष ऑस्कार रोमेरो ने माताओं को बलिदान को इंगित करते हुए कहा था "
माताओं की शहीदी "। इसका अर्थ है मातायें मानव जीवन और समाज के कल्याण के लिये संवेदनशील
होकर अपने जीवन का बलिदान करतीं हैं।
आज मैं आप लोगों से आग्रह करता हूँ कि आप मेरे साथ एक होकर माताओं के लिये धन्यवाद दें
जिन्होंने प्रत्येक जन के लिये, पूरी कलीसिया तथा समग्र विश्व के लिये अपने को समर्पित
कर दिया है।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड,
जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड.
फिनलैंड, जापान, उगान्डा, कतार, मॉल्टा, डेनमार्क , कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग,
अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को
विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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