वाटिकन सिटी, मंगलवार, 06 जनवरी 2015 (सेदोक): रोम स्थित सन्त
पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, मंगलवार, 6 जनवरी को प्रभु प्रकाश महापर्व के उपलक्ष्य
में, देवदूत प्रार्थना के लिये देश विदेश से एकत्र, तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सन्त
पापा फ्राँसिस ने इस प्रकार सम्बोधित कियाः
"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
ख्रीस्तजयन्ती की रात हमने बेथलेहेम की गऊशाले तक दौड़ते इसराएली जाति के कुछेक चरवाहों
पर चिन्तन किया; आज प्रभु प्रकाश महापर्व के दिन, हम नवजात यहूदियों के राजा एवं सम्पूर्ण
विश्व के मुक्तिदाता की आराधना करने तथा उन्हें भेंट चढ़ाने सुदूर पूर्व से पहुँचे ज्ञानी
पुरुषों के आने की स्मृति का समारोह मनाते हैं। अपने आराधनामय कृत्य से ज्ञानी पुरुषों
ने इस बात का साक्ष्य प्रस्तुत कर दिया था कि येसु इस धरती पर केवल एक जाति को नहीं अपितु
सब लोगों को मुक्ति दिलाने आये हैं। अस्तु, आज के महापर्व में हमारी दृष्टि, सब लोगों
के प्रति प्रभु की प्रकाशना का समारोह मनाने हेतु, सम्पूर्ण विश्व के क्षितिज तक विस्तृत
होती है। प्रभु की प्रकाशना का अर्थ है प्रेम की प्रकाशना तथा ईश्वर की विश्वव्यापी मुक्ति
की प्रकाशना। प्रभु अपना प्रेम केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों तक ही सीमित
नहीं रखते, अपितु इसे सबको अर्पित करते हैं। इसीलिये हम बुलाये जाते हैं कि हम अनवरत
प्रत्येक मनुष्य एवं उसकी मुक्ति में, महान विश्वास एवं आशा का पोषण करें: इसमें वे लोग
भी शामिल हैं जो ईश्वर तथा उनके असीम एवं सत्यनिष्ठ प्रेम से बहुत दूर प्रतीत होते हैं।"
सन्त पापा ने कहाः "ज्ञानी पुरुषों का सुसमाचारी विवरण, सुदूर पूर्व से उनकी यात्रा को
आत्मा की यात्रा तथा ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार की यात्रा रूप में, प्रस्तुत करता है।
ज्ञानी पुरुष उन संकेतों के प्रति सचेत हैं जो उनकी उपस्थिति को इंगित करते हैं; वे अथक
रहकर इस खोज की कठिनाइयों का सामना करते हैं; ईश्वर के साथ साक्षात्कार के परिणामों को
भुगतने में साहसी हैं। ज्ञानी पुरुषों का अनुभव ख्रीस्त के प्रति प्रत्येक व्यक्ति की
तीर्थयात्रा का उदाहरण है। ज्ञानी पुरुषों के समान हमारे लिये भी ईश्वर की खोज है, स्वर्ग
की ओर दृष्टि लगाकर तथा हमारे हृदय से बोलते अदृश्य ईश्वर का संकेत देते तारे के सहारे,
अनवरत यात्रा पर रहना। वह तारा जो प्रत्येक मनुष्य को येसु तक ले जाने में सक्षम है वह
है ईश वचनः यह वह ज्योति है जो हमारा पथ प्रदर्शित करती, हमारे विश्वास को पोषित करती
तथा उसे नवीकृत करती है। ईश्वर का वचन ही है जो हमारे हृदयों एवं हमारे समुदायों को अनवरत
नवीकृत करता रहता है। अस्तु, इसे पढ़ना तथा इस पर प्रतिदिन चिन्तन करना हम कदापि न भूलें,
यह हम में से प्रत्येक के लिये वह लौ बन जाये जिसे हम अपने अन्तर में संजोये रखें ताकि
यह हमारे कदमों तथा हमारे सम्पर्क में आनेवाले सभी लोगों के कदमों को ख्रीस्त तक प्रज्वलित
रख सके।"
सन्त पापा ने आगे कहाः "प्रभु प्रकाश महापर्व के इस दिन, हमारे विचार पूर्व के काथलिक
एवं ऑरथोडोक्स, ख्रीस्तीय भाइयों एवं बहनों के प्रति अभिमुख होते हैं जिन में से अनेक,
आज और कल, प्रभु की जयन्ती का समारोह मना रहे हैं। हमारी हार्दिक शुभकामनाएँ इन सब तक
पहुँचे।
फिर मुझे यह भी याद करना पसन्द है कि आज हम बच्चों की प्रेरिताई सम्बन्धी विश्व दिवस
मना रहे हैं। यह उन बच्चों का पर्व है जो विश्वास के वरदान को आनन्दपूर्वक ग्रहण करते
हैं तथा प्रार्थना करते हैं कि येसु का प्रकाश सम्पूर्ण विश्व के बच्चों तक विस्तृत हो
जाये। शिक्षकों को मैं प्रोत्साहन देता हूँ कि वे बच्चों में मिशनरी भाव को जागृत करें
ताकि उनमें से ईश्वर की कोमलता के साक्षी एवं उनके प्रेम के उदघोषक प्रस्फुटित होवें।"
उन्होंने प्रार्थना कीः "कुँवारी मरियम पर हम दृष्टि डालें तथा विश्वव्यापी कलीसिया पर
उनके संरक्षण का आह्वान करें ताकि धरती के अन्तिम छोर तक ख्रीस्त अर्थात् "सब लोगों की
ज्योति" का सुसमाचार फैल जाये।"
इतना कहकर सन्त पापा फ्राँसिस ने अपना सन्देश समाप्त किया तथा एकत्र तीर्थयात्रियों के
साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
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