2014-12-29 11:32:31

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 दिसम्बर 2014 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 28 दिसम्बर को, देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों के साथ मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस ने उन्हें इस तरह सम्बोधित किया,

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात!
ख्रीस्तजयन्ती महापर्व के बाद, इस पहले रविवार को," सन्त पापा ने कहा, "जब हम अभी भी इस महापर्व के सुखद वातावरण में डूबे हैं, कलीसिया हमें नाज़रेथ के पवित्र परिवार पर चिन्तन हेतु आमंत्रित करती है। आज का सुसमाचार हमारे समक्ष, ख्रीस्तजन्म के चालीस दिन बाद जैरूसालेम के मन्दिर में पहुँचे, माता मरियम एवं सन्त योसफ, को प्रस्तावित करता है। ऐसा वे मूसा की संहिता में निहित विधि के प्रति धार्मिक आज्ञाकारिता के अधीन करते हैं जिसके अनुसार "हर पहलौठा बेटा प्रभु को अर्पित किया जाना है (दे. लूकस 2: 22-24)।"

सन्त पापा ने कहाः "मन्दिर के विशाल प्राँगण में, इतने अधिक लोगों के बीच, हम इस छोटे से परिवार की कल्पना कर सकते हैं। लोगों की दृष्टि उनपर नहीं पड़ती, किसी ध्यान भी उनकी ओर आकर्षित नहीं होता..... फिर भी उनकी उपस्थिति अलक्षित या अदृश्य नहीं रहती है! दो बुजुर्ग सिमियोन एवं अन्ना, पवित्रआत्मा से प्रेरित होकर, उनके पास आते हैं तथा उस बालक के लिये ईश्वर की प्रशंसा करने लगते हैं, वे उस बालक में मसीह को पहचान लेते हैं, जो ग़ैर-यहूदियों के प्रबोधन के लिये ज्योति और इस्राएल का गौरव है (दे. लूकस 2:32)"। वह एक सरल सा क्षण था तथापि, भविष्यवाणी से परिपूर्ण थाः ईश कृपा के लिये दो युवा दम्पत्ति हर्ष और विश्वास से पूर्ण थे और उनके साथ-साथ दो बुजुर्ग भी, पवित्रआत्मा के कार्यों के लिये, हर्ष एवं विश्वास से परिपूर्ण थे।"

सन्त पापा ने प्रश्न कियाः "किसने इनकी मुलाकात करवाई? येसु ने, येसु ने उनकी मुलाकात कराईः युवाओं और वयोवृद्धों को एक साथ मिलवाया। वे येसु ही हैं जो पीढ़ियों को एक दूसरे के निकट लाते हैं। येसु ही उस प्रेम का स्रोत हैं जो, हर प्रकार के अविश्वास, हर प्रकार के अलगाव तथा हर प्रकार की दूरी पर विजय प्राप्त कर, परिवारों एवं व्यक्तियों को एकसाथ मिलाता है। यह हमारे विचार दादा- दादी एवं नाना-नानी के प्रति अभिमुख करता हैः उनकी उपस्थिति कितनी महत्वपूर्ण है, दादा-दादी एवं नाना-नानी की उपस्थिति! परिवारों एवं समाजों में उनकी भूमिका कितनी अनमोल है! युवाओं एवं वयोवृद्धों के बीच स्वस्थ सम्बन्ध नागर एवं कलीसियाई समुदायों के लिये निर्णायक है। इन दो बुजुर्गों, इन दादा-दादी सिमियोन एवं अन्ना को निहारते हुए आज हम यहाँ से सम्पूर्ण विश्व के समस्त दादा-दादियों एवं नाना-नानियों का अभिवादन करें।"

सन्त पापा ने कहाः "पवित्र परिवार से आनेवाला सन्देश सर्वप्रथम विश्वास का सन्देश है। वास्तव में, ईश्वर, मरियम एवं योसफ के पारिवारिक जीवन के केन्द्र है और ऐसा येसु के व्यक्तित्व में सम्भव हुआ। इसीलिये नाज़रेथ का परिवार पवित्र परिवार है। इसका कारण क्या है? इसका कारण यह है कि वह येसु पर केन्द्रित है।

उन्होंने आगे कहाः "जब माता पिता एवं सन्तान एक साथ मिलकर इस विश्वास के वातावरण में श्वास लेते हैं तब उनमें उस ऊर्जा का संचार होता है जिसके बल पर वे कठिन परीक्षाओं का सामना कर पाते हैं, जैसा कि पवित्र परिवार का अनुभव हमें दिखाता है उदाहरणार्थ, मिस्र की ओर भाग निकलने की त्रासदिक घटनाः वह वास्तव में एक कठिन परीक्षा थी।"

येसु, मरियम और योसफ के परिवार को सम्पूर्ण विश्व के परिवारों का आदर्श निरूपित कर सन्त पापा ने कहा, "बालक येसु अपनी माँ मरियम एवं सन्त योसफ के साथ, परिवार की, एक साधारण एवं सरल किन्तु एक ज्योतिर्मय प्रतिमा हैं। इस परिवार से प्रज्वलित प्रकाश सम्पूर्ण विश्व के लिये करुणा एवं मुक्ति का प्रकाश है, वह प्रत्येक मानव व्यक्ति, मानव परिवार एवं प्रत्येक परिवार का यथार्थ प्रकाश है। पवित्र परिवार से दैदीप्यमान प्रकाश हमें प्रोत्साहन देता है कि हम उन पारिवारिक स्थितियों को मानवीय गरमाहट अथवा स्नेह अर्पित करें जहाँ विभिन्न कारणों से शांति की कमी है, मैत्री की कमी है तथा क्षमा का अभाव है।

हमारी एकात्मता, विशेष रूप से, उन परिवारों के प्रति कदापि कम न हो जो रोग के कारण कठिन परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं, बेरोज़गारी एवं भेदभाव से पीड़ित हैं तथा आप्रवासी बनने के लिये बाध्य हैं...............इस स्थल पर हम तनिक रुकें तथा बीमारी, बेरोज़गारी, आप्रवास एवं परिवार विच्छेद की कठिनाइयों का सामना कर रहे समस्त परिवारों के लिये प्रार्थना करें। मौन रहकर हम इन सब परिवारों के लिये .... प्रणाम मरिया ..... प्रार्थना करें।"

अन्त में सन्त पापा ने कहा, "विश्व के समस्त परिवारों को हम परिवार की रानी एवं माता मरियम के सिपुर्द करें ताकि वे विश्वास, मैत्री और सामंजस्य तथा परस्पर सहायता एवं सहयोग में जीवन यापन कर सकें, इसके लिये सभी परिवारों पर मैं मरियम के ममतामयी संरक्षण का आह्वान करता हूँ जो उनके पुत्र की माता एवं पुत्री बनी।"

इतना कहकर सन्त पापा ने सभी उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया।................. तदोपरान्त, इन दिनों प्राप्त शुभकामनाओं एवं प्रार्थनाओं के लिये हार्दिक आभार व्यक्त कर सन्त पापा फ्राँसिस ने सबके प्रति सुखद रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।









All the contents on this site are copyrighted ©.