कैनटरबरी, शनिवार, 27 दिसम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ कैनटरबरी के महाधर्माध्यक्ष ने ख्रीस्त
जयन्ती को वास्तविक और हमेशा के लिए आनन्द का समाचार बतलाया।
उन्होंने प्रवचन
में कहा, ″ईश्वर ने अपने पुत्र को शांति के चिन्ह स्वरूप एक कमजोर बालक के रूप में इस
दुनिया में भेजा।″ उन्होंने कहा, ″निश्चय ही हम ख्रीस्त जयन्ती मनाना पसंद करते हैं
और इस अवसर पर कैरोल गाये जाते, फोटो लिए जाते, मिठाई बांटी जाती तथा एक दूसरे को शुभकामनाएँ
दी जाती हैं किन्तु अगले दिन सब कुछ सामान्य हो जाता और हम में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं
पड़ता।″
उन्होंने मध्यपूर्व की याद करते हुए कहा कि येसु के जन्म स्थल पर आज
संघर्ष की स्थिति है। वहाँ भय का अंत नहीं है। वहाँ क्रिसमस का अर्थ संघर्ष विराम नहीं
है। ख्रीस्तीय तथा अन्य अल्पसंख्यक अत्याचार के शिकार हो रहे हैं। इस संघर्ष के कारण
इस्राएली तथा फिलीस्तिनियों के बीच अलगाव की स्थिति है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा
कि यदि क्रिसमस के महापर्व को चरवाहों के दर्शन तथा दूतों के भजन मात्र तक देखा जाए तथा
इसे एक सुखद अंत माना जाए तो हम क्रिसमस की वास्तविकता को नहीं समझ सकते हैं। येसु इस
संसार की वास्तविकता में परिवर्तन करने आये।
मानव जाति के लिए यह सबसे बड़ी खुशी
का समाचार है क्योंकि ईश्वर ने संसार की वास्तविक परिस्थिति में आना पसंद किया। नबी इसायस
इस्राएलियों के कष्टों तथा शोसन के बीच, एक नन्हे बालक द्वारा प्रकाशमान, आनन्दमय दिन
की भविष्यवाणी करते हैं। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि यह बड़े आनन्द का समाचार है क्योंकि
एक कमजोर बालक ने दुनिया में परिवर्तन लाया। वे हमें कठिनाईयों से बचने का उपाय नहीं
बतलाते किन्तु वास्तविकता में जीना सिखलाते हैं। बालक ने मानव जाति के लिए क्षमा, प्रेम
तथा शांति की आशा का संदेश लाया है।
उनके इस संदेश को स्वीकार कर अपने जीवन में
इसका अभ्यास करना ही ख्रीस्त जयन्ती के अर्थ को पूर्ण करता है।