ईराक, एरबिलः सन्त पापा पत्र साहस एवं आशा का स्रोत, प्राधिधर्माध्यक्ष साको
ईराक, एरबिल, शुक्रवार 26 दिसम्बर, 2014 (एशियान्यूज़): ईराक में खलदेई ख्रीस्तीयों के
धर्माधिपति प्राधिधर्माध्यक्ष लूईस साको ने विगत दिनों क्रिसमस के उपलक्ष्य में सन्त
पापा फ्राँसिस द्वारा मध्यपूर्व के ख्रीस्तीयों के नाम प्रेषित पत्र को साहस एवं आशा
का स्रोत निरूपित किया है।
एशियान्यूज़ से उन्होंने कहा, "सन्त पापा का पत्र
अति सुन्दर और हृदय विदारक है जिसमें गहन पीड़ा महसूस की जा सकती है किन्तु साथ ही ईराकी
लोगों तथा ख्रीस्तीय शरणार्थियों के लिये सन्त पापा के सामीप्य का अनुभव किया जा सकता
है।"
प्राधिधर्माध्यक्ष साको ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों द्वारा,
"मेरे हृदय की अतल गहराई में मैं महसूस करता हूँ कि वे कलीसिया के शीर्ष एवं पिता रूप
में अपनी भूमिका भलिभाँति निभा रहे हैं।" उन्होंने कहा, "ऐसे मस्तिष्क के धनी जो विचार
करने के साथ साथ पीड़ित भी होता है सन्त पापा फ्राँसिस एक अति नेक और गहन आध्यात्मिक
भावनाओं से ओत् प्रोत् पिता भी हैं और यह हमारे लिये साहस एवं आशा का स्रोत है।
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दिसम्बर को क्रिसमस महापर्व की पूर्व सन्ध्या सन्त पापा फ्राँसिस ने ईराक सहित सम्पूर्ण
मध्यपूर्व के नाम एक पत्र प्रेषित कर इस बात पर बल दिया था कि उनकी तथा उनके साथ साथ
अन्य जातियों एवं धर्मों के अनुयायियों की पीड़ा "ईश्वर को पुकारती है।"
पत्र
में सन्त पापा कहते हैं कि अत्याचार और अनाचार, सभी धार्मिक नेताओं द्वारा, इस्लाम धर्म
के नेताओं द्वारा भी स्पष्ट एवं साहसिक अवस्थिति की मांग करते हैं, बिना किसी सन्देह
एवं अस्पष्टता के सबके द्वारा इसकी निन्दा किया जाना आवश्यक है।
अपने पत्र में
सन्त पापा फ्राँसिस ने मध्यपूर्व के प्रताड़ित ख्रीस्तीयों को अपने सामीप्य का आश्वासन
दिया है तथा कठिनाइयों के बावजूद प्रभु ख्रीस्त का साक्ष्य प्रदान करने के लिये आभार
व्यक्त किया है।