2014-12-25 12:13:21

वाटिकन सिटीः रोम और विश्व के नाम सन्त पापा फ्राँसिस का क्रिसमस सन्देश


वाटिकन सिटी, गुरुवार, 25 दिसम्बर सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन रेडियो के सभी श्रोताओं के प्रति ख्रीस्तजयन्ती महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं अर्पित करते हुए आज के प्रसारण में हम प्रस्तुत कर रहे हैं, ख्रीस्तजयन्ती के उपलक्ष्य में, रोम शहर एवं विश्व के नाम, काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष, सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश।

वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 25 दिसम्बर को देश विदेश से एकत्र हज़ारों तीर्थयात्रियों की उपस्थिति में सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना ख्रीस्तजयन्ती सन्देश इस प्रकार आरम्भ कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ख्रीस्तजयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ईश्वर के पुत्र, विश्व के मुक्तिदाता, येसु ने हमारे लिये जन्म लिया है। बेथलेहेम में एक कुँवारी से उन्होंने जन्म लिया और ऐसा कर प्राचीन भविष्यवाणियों को पूरा किया। कुँवारी का नाम है मरियम तथा उनके पति का नाम योसफ।
ये लोग अति विनम्र लोग हैं जिनकी पूरी आशा ईश्वर की भलाई पर टिकी है, ये येसु का स्वागत करते तथा उन्हें पहचान लेते हैं। इसी प्रकार, पवित्र आत्मा ने बेथलेहेम के चरवाहों को आलोकित किया जो गऊशाले तक दौड़े चले आये तथा बालक के आगे नत मस्तक हुए। और फिर, जैरूसालेम के मन्दिर में, पवित्रआत्मा ने वयोवृद्धों, सिमियोन तथा अन्ना, को मार्गदर्शन दिया जिन्होंने येसु में मसीह को पहचाना। सन्त लूकस के अनुसार सिमियोन कह उठता हैः क्योंकि मेरी आँखों ने उस मुक्ति को देखा है जिसे तूने सब राष्ट्रों के लिये प्रस्तुत किया है।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः "जी हाँ! भाइयो, येसु प्रत्येक व्यक्ति एवं प्रत्येक राष्ट्र के लोगों की मुक्ति हैं। उनसे, विश्व के मुक्तिदाता से मैं आर्त निवेदन करता हूँ कि वे ईराक एवं सिरिया के हमारे भाइयों पर दयादृष्टि करें जो बहुत समय से अनवरत जारी संघर्ष के कारण दुःख भोग रहे हैं तथा अन्य जातियों एवं धर्मों के अनुयायियों के साथ बर्बर अत्याचारों का शिकार बन रहे हैं। ख्रीस्त की जयन्ती इन लोगों में आशा का संचार करे और साथ ही उस क्षेत्र एवं सम्पूर्ण विश्व के असंख्य बेघर, निष्कासित एवं शरणार्थी, बच्चों, वयस्कों एवं वयोवृद्धों में आशा को जागृत करे; उपेक्षाभाव को, प्रभु, सामीप्य में और बहिष्कार को आतिथेय में परिणत कर दें ताकि जो लोग इस समय परीक्षा की घड़ियों से गुज़र रहे हैं वे, शीत ऋतु की कठोरता का सामना करने के लिये, आवश्यक लोकोपकारी सहायता प्राप्त कर सकें, अपने देशों को पुनः लौट सकें तथा प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन कर सकें।"

उन्होंने आगे कहाः "प्रभु ईश्वर हृदयों को विश्वास से परिपूर्ण कर दें तथा इसराएलियों एवं फिलीस्तीनियों के बीच वार्ताओं के लिये अथक परिश्रम करनेवालों के प्रयासों को समर्थन देते हुए, उनके जन्म से धन्य हुई भूमि से लेकर समस्त मध्यपूर्व को शांति का वरदान दें।"

पूर्वी यूरोप एवं अफ्रीका के तनावग्रस्त क्षेत्रों के लिये प्रार्थना करते हुए सन्त पापा ने कहाः "विश्व के मुक्तिदाता, येसु, उन लोगों पर दृष्टि डालें जो यूक्रेन में उत्पीड़ित हैं। प्रभु, उस प्रिय भूमि के लोगों में तनावों को अभिभूत करने, घृणा एवं हिंसा पर विजय पाने तथा भ्रातृत्व एवं पुनर्मिलन के एक नये मार्ग की ओर अग्रसर होने का साहस भर दें।
उद्धारकर्त्ता ख्रीस्त नाईजिरिया को शांति प्रदान करें जहाँ इन घड़ियों में भी रक्त बहाया जा रहा है तथा बहुत से लोग अन्यायपूर्ण ढंग से अपने प्रियजनों से अलग कर बन्धक बनाये गये हैं अथवा मार डाले गये हैं। अफ्रीकी महाद्वीप के अन्य क्षेत्र के लिये भी मैं शांति की पुकार लगाता हूँ। विशेष रूप से, मैं लिबिया, दक्षिणी सूडान, केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र एवं कान्गो प्रजातांत्रिक गणतंत्र के प्रति उत्कंठित हूँ; तथा राजनैतिक ज़िम्मेदारी रखनेवाले लोगों से निवेदन करता हूँ कि हर विवाद को सुलझाने के लिये वार्ताओं में संलग्न होकर स्थायी सहअस्तित्वपूर्ण भ्रातृत्व का निर्माण करें।"

उन्होंने आगे कहाः "हिंसा से पीड़ित उन असंख्य बच्चों को प्रभु सुरक्षा दिलवायें जो, वस्तुओं की तरह, व्यापार एवं मानव तस्करी के शिकार बनाये जा रहे हैं अथवा सैनिक बनने के लिये बाध्य किये जा रहे हैं। विगत सप्ताह पाकिस्तान में मारे गये बच्चों के परिवारों को प्रभु ईश्वर सान्तवना प्रदान करें। उन लोगों के साथ रहें जो रोगों के कारण पीड़ित हैं, विशेष रूप से, लाईबिरिया, सियेरा लियोने तथा गिनी में एबोला महामारी से पीड़ित लोगों के साथ रहें। रोगियों एवं उनके परिवारों की देखभाल करने हेतु जितने भी लोग साहसपूर्वक सेवाएँ अर्पित कर रहे हैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए मैं सभी बीमारों को उपयुक्त सहायता एवं आवश्यक चिकित्सा प्रदान किये जाने की अपील करता हूँ।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः "वास्तव में, इस ख्रीस्तजयन्ती पर बालक येसु के आँसुओं के साथ बहुत से लोग आँसू बहा रहे हैं। प्रिय भाइयो एवं बहनो, मेरी मंगल याचना है कि पवित्रआत्मा आज हमारे हृदयों को आलोकित करें ताकि हम बेथलेहेम में कुँवारी मरियम से जन्में बालक येसु में ईश्वर द्वारा हममें से प्रत्येक को, प्रत्येक व्यक्ति तथा पृथ्वी के हर राष्ट्र और जाति को अर्पित मुक्ति के वरदान के दर्शन कर सकें।"

अन्त में सबके प्रति ख्रीस्तजयन्ती की मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए उन्होंने कहाः "ख्रीस्त की शक्ति, जो मुक्ति और सेवा है, युद्ध, अत्याचार एवं गुलामी से पीड़ित असंख्य लोगों के दिलों में महसूस की जा सके; अपनी नम्रता द्वारा यह दिव्य शक्ति दुनियादारी और उदासीनता में डूबे अनेक पुरुषों एवं स्त्रियों के हृदयों की कठोरता को दूर करे। प्रभु की मुक्तिदायी शक्ति हथियारों को फाल में, विनाश को रचनात्मकता में और घृणा को प्रेम एवं कोमलता में बदल दे। इस प्रकार, हम हर्षपूर्वक कह उठेंगेः "प्रभु, हमारी आँखों ने तेरी मुक्ति के दर्शन कर लिये हैं।
सबको क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ!"

इन शब्दों से रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश समाप्त कर सन्त पापा फ्राँसिस ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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