वाटिकन सिटीः मध्यपूर्व के ख्रीस्तीयों को सन्त पापा के क्रिसमस पत्र में मिले सान्तवना
के शब्द
वाटिकन सिटी, बुधवार 24 दिसम्बर सन् 2014 (सेदोक): "धन्य है ईश्वर, हमारे प्रभु येसु
मसीह का पिता, परमदयालु पिता और हर प्रकार की सान्तवना का ईश्वर जो सारी दुःख तकलीफ़
में हमें सान्तवना देता रहता है "(2 कुरिन्थ. 1:3-4)।
कुरिन्थियों को प्रेषित
सन्त पौल के पत्र से लिये इन शब्दों से सन्त पापा फ्राँसिस ने मध्यपूर्व के ख्रीस्तीयों
के नाम अपना क्रिसमस पत्र आरम्भ किया। उन्होंने कहा, "जब मैंने आपको, मध्यपूर्व के प्रिय
भाइयो एवं बहनों, पत्र लिखना चाहा तब अनायास ही सन्त पौल द्वारा लिखे उक्त शब्द मेरे
मन में आ गये। यह जानते हुए कि आप में से कईयों के लिये, क्रिसमस गीतों का संगीत, आँसुओं
एवं आहों से भरा होगा क्रिसमस से पूर्व मैं आपको लिख रहा हूँ।
सन्त पापा ने लिखाः
"दुर्भाग्यवश, मध्यपूर्व में हाल के दिनों में भी दुःख और क्लेश की कमी नहीं रही। उस
क्षेत्र में निरन्तर जारी संघर्ष के कारण विगत कुछ माहों से स्थिति और अधिक ख़राब हो
गई है, विशेष रूप से, एक नये और ख़तरनाक आतंकवादी संगठन की गतिविधियों के कारण, जिसकी
पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी, इस संगठन ने सब प्रकार के जघन्य एवं अमानवीय कृत्यों
को अनजाम दिया है। इसने, विशेष रूप से, आप लोगों को प्रभावित किया है जिन्हें बर्बरतापूर्वक
अपनी जन्मभूमि से निकाल दिया गया है, उस भूमि से निष्कासित कर दिया गया है जहाँ प्रेरितों
के काल से ख्रीस्तीयों का अस्तित्व बना रहा था।"
उन्होंने आगे लिखाः "तथापि,
आपको लिखते समय मैं अन्य धर्मों एवं जातियों के प्रताड़ित सदस्यों के प्रति मौन नहीं
रह सकता। हमारे इन भाइयों एवं बहनों को भी इन संघर्षों के दुष्परिणामों को झेलना पड़ा
है। प्रतिदिन मैं मध्यपूर्व के अनेकानेक लोगों द्वारा सही जा रही पीड़ा और प्रताड़ना
की ख़बरे सुनता हूँ। मेरे विचार, विशेष रूप से, बच्चों, युवा माताओं, वयोवृद्धों, बेघर
लोगों, शरणार्थियों, क्षुधा पीड़ितों तथा बिना किसी उपयुक्त शरण के शीत ऋतु का सामना
करने को मजबूर लोगों के प्रति अभिमुख हैं।"
सन्त पापा फ्राँसिस ने लिखा, "इस प्रकार
के अत्याचार ईश्वर को पुकारते तथा प्रार्थना एवं हर सम्भव तरीके से सहायता प्रदान करने
हेतु हम सब के समर्पण की मांग करते हैं। आप सबके प्रति मैं अपने वैयक्तिक तथा सम्पूर्ण
कलीसिया के सामीप्य एवं एकात्मता की अभिव्यक्ति करता तथा सान्तवना एवं आशा के शब्द अर्पित
करता हूँ। प्रिय भाइयो एवं बहनो, आप लोग जो प्रभु द्वारा धन्य हुई भूमि में येसु का साक्ष्य
प्रदान करते हैं, आपको मैं स्मरण दिलाना चाहता हूँ कि हमारी सान्तवना तथा हमारी आशा स्वयं
प्रभु येसु ख्रीस्त हैं। अस्तु, मैं आपको प्रोत्साहन देता हूँ कि आप, इस विश्वास के साथ
कि कोई भी विपत्ति, संकट अथवा अत्याचार हमें मसीह से वंचित नहीं कर सकता, दाखलताओं के
सदृश येसु के समीप रहें। मेरी मंगलकामना है कि इस समय आप जिन कठिनाइयों का सामना कर रहे
हैं वे आप में से प्रत्येक के विश्वास को सुदृढ़ करे।"
मध्यपूर्व के देशों
में ख्रीस्तीयों के योगदान का स्मरण कर सन्त पापा ने लिखाः "मध्यपूर्व में आपकी उपस्थिति
मूल्यवान है। भले ही आप एक छोटे से रेवड़ के सदस्य हैं तथापि, उस पवित्र भूमि में आपकी
ज़िम्मेदारियाँ महान हैं जहाँ ख्रीस्तीय धर्म का उदय हुआ था तथा जहाँ से उसका विस्तार
हुआ था। आप आटे के ख़मीर के सदृश हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं समाज सेवा के
क्षेत्र में अर्पित काथलिक कलीसिया के सराहनीय योगदान से भी अधिक महत्वपूर्ण है मध्यपूर्व
में आपकी उपस्थिति।"
अन्य धर्मों के लोगों के साथ मैत्री एवं सहयोग को प्रोत्साहित
करते हुए सन्त पापा ने लिखाः "यहूदी एवं इस्लाम धर्मानुयायियों के साथ सहयोग हेतु आपके
प्रयास ईश राज्य का एक और चिन्ह है। परिस्थितियाँ जितनी कठिन होगी उतना ही अन्तरधार्मिक
सम्वाद आवश्यक होगा। उदारता, सत्य एवं प्रेम पर आधारित वार्ता, हर धर्म के अनुयायियों
पर ख़तरा बने, धार्मिक उग्रवाद के प्रलोभन से बचने का सर्वाधिक उपयुक्त विषहर है। साथ
ही यह न्याय एवं सबके द्वारा वाँछित शान्ति की अनिवार्य शर्त है।
उन्होंने आगे
लिखा, "आप में से अधिकांश मुसलमान बहुल माहौल में जीते हैं। अपने मुसलमान भाइयों को इस्लाम
की यथार्थ छवि प्रस्तुत करने के लिये आप प्रेरित कर सकते हैं, इस बात पर बल देते हुए
कि इस्लाम धर्म शांति का धर्म है, ऐसा धर्म जो मानवाधिकारों का सम्मान करता तथा शांतिपूर्ण
सहअस्तित्व का पक्षधर है। ईराक में हमारे ख्रीस्तीय भाई बहनों तथा येज़दी समुदाय के सदस्यों
द्वारा सही जा रही घोर प्रताड़ना मांग करती है कि सभी धर्मों के नेता एक साथ मिलकर स्पष्ट
ढंग से इन अपराधों की कड़े शब्दों में निन्दा करें तथा धर्म के नाम पर इन अपराधों का
औचित्य ठहराने की प्रथा का खण्डन करें।"
पत्र की अन्तिम पंक्ति में सन्त
पापा ने लिखाः "आप सबको और आपके परिवारों को मैं अपना प्रेरितिक आशीर्वाद देता तथा प्रार्थना
करता हूँ कि आपका क्रिसमस समारोह प्रेम एवं हमारे मुक्तिदाता ख्रीस्त की शान्ति से परिपूर्ण
रहेगा।"