ख्रीस्तीय कलीसियाओं ने अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की
भारत, बुधवार, 24 दिसम्बर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ भारत की ख्रीस्तीय कलीसियाओं ने अल्पसंख्यकों
की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन, भारत
में कलीसियाओं की राष्ट्रीय परिषद तथा भारत की एवंजेलिकल फेलोशिप की संयुक्त समिति, नेशनल
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (एन.यू.सी.एफ) ने रविवार 21 दिसम्बर को एक संयुक्त बयान जारी
किया।
उन्होंने बयान में कहा कि बस्तर के काथलिक स्कूलों में हिन्दू देवी-देवताओं
को स्थापित करने हेतु उकसाने, दिल्ली में गिरजाघर को जलाये जाने, क्रिसमस को ग़ौण करने
के उद्देश्य से 25 दिसम्बर को 'सुशासन दिवस' की घोषणा करने तथा ख्रीस्त जयन्ती के दिन
4000 ख्रीस्तीयों का धर्मातरण कर हिन्दू धर्म अपनाने का वे कड़ा विरोध करते हैं।
एन.यू.सी.एफ
ने कहा कि वे राज्यसभा में एक मंत्री द्वारा रूपांतरण पर राष्ट्रीय प्रतिबंध के मुद्दे
का विरोध करते हैं क्योंकि यह संविधान में निहित व्यक्ति के विश्वास चयन की स्वतंत्रता,
विश्वास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म मानने की स्वतंत्रता तथा अपने विश्वास की उद्घोषणा
की स्वतंत्रता का हनन है।
कलीसियाओं ने दोहराया कि वे धोखाधड़ी द्वारा धर्म-परिवर्तन
का कड़ा विरोध करते हैं तथा राष्ट्र की नीति अनुसार देश पर शासन करने हेतु सरकार को पूर्ण
समर्थन देने का आश्वासन देते हैं।
उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
से अपील है कि धर्मांतरण के कानून में किसी प्रकार का परिवर्तन न किया जाए क्योंकि लोगों
के बीच आपसी सद्भावना एवं शांति में ही देश का विकास संभव है।
उन्होंने कहा कि
देश के विकास हेतु सहयोग देना तब तक संभव नहीं है जब तक कि लोगों को परेशान किया जाए
तथा उन्हें देशद्रोही समझा जाए।