2014-12-23 11:55:44

प्रेरक मोतीः कैन्टी के सन्त जॉन (15वीं शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 23 दिसम्बर सन् 2014:

कैन्टी के सन्त जॉन 15 वीं शताब्दी में बोहेमिया के पुरोहित थे। वे क्रेकाव में ईशशास्त्र के प्राध्यपक थे तथा बाद में बोहेमिया में उल्सुक के पल्ली पुरोहित रूप में प्रेषित कर दिये गये थे। छात्रों में जॉन की लोकप्रियता कुछ लोगों को पसन्द नहीं थी और उन्होंने जॉन पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें क्रेकाव विश्वविद्यालय में प्राध्यपक के पद से हटवा दिया था। जब उन्हें का पल्ली पुरोहित बनाकर भेजा गया तब लोगों ने भी उनपर सन्देह करना शुरु कर दिया। एक जगह से हटाये गये व्यक्ति को वे अपने पल्ली पुरोहित रूप में स्वीकार नहीं करना चाहते थे। वे उन्हें संदिग्ध नज़रों से देखने लगे थे।

पल्ली पुरोहित रूप में जॉन ने आठ वर्षों तक उल्सुक के लोगों की प्रेरितिक सेवा की जिसके बाद उन्हें पुनः क्रेकाव बुला लिया गया। इस समय तक जॉन की भलाई एवं उनकी उदारता लोगों के मन में घर कर गई थी जो क्रेकाव तक उनके पीछे गये तथा उनसे वापस आने का निवेदन करते रहे थे। अपने धर्माध्यक्ष की आज्ञा मानते हुए जॉन क्रेकाव में ही रहे तथा अपना शेष जीवन उन्होंने विश्वविद्यालय में पवित्र धर्मग्रन्थ के प्राध्यपक रूप में व्यतीत किया। बताया जाता है कि भिक्षुओं को देख जॉन उन्हें अपनी थाली अर्पित कर दिया करते थे। अपने छात्रों को भी उन्होंने इन्हीं मूल्यों का पाठ पढ़ाया। वे उनसे कहा करते थेः धैर्य, उदारता, प्रेम और भलाई से वे बुराई पर विजय पायें। कैन्टी के सन्त जॉन का स्मृति दिवस 23 दिसम्बर को मनाया जाता है।


चिन्तनः "मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ। हम मिल कर उसके नाम की स्तुति करें। मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी और मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त कर दिया। प्रभु की ओर दृष्टि लगाओ, आनन्दित हो, तुम फिर कभी निराश नहीं होगे" (स्तोत्र ग्रन्थ 34: 4-6)।








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