2014-12-22 15:11:31

प्रभु हमारे द्वार पर दस्तक दे रहे हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 22 दिसम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 21 दिसम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,

आज आगमन का चौथा एवं अंतिम सप्ताह है और धर्मविधि ख्रीस्त जयन्ती की तैयारी हेतु गाब्रिएल महादूत द्वारा मरिया को दिए गये संदेश पर चिंतन के लिए आमंत्रित करती है। गाब्रिएल महादूत जिसका अर्थ है ‘ईश्वर का सामर्थ्य’, ने कुँवारी मरियम के ईश माता बनने की, प्रभु की योजना को उन्हें इन शब्दों में प्रकट किया, ″देखिए, आप गर्भवती होंगी, पुत्र प्रसव करेंगी और उनका नाम ईसा रखेंगी। वे महान होंगे और सर्वोच्च ईश्वर के पुत्र कहलायें।″ (लूक.1꞉31-32)

संत पापा ने कुँवारी मरियम की ओर हमारा ध्यान खींचते हुए कहा, ″नाज़रेथ की इस सीधी सरल बालिका पर हम ध्यान दें। उस दिव्य संदेश को ‘हाँ’ द्वारा मंजूरी देने से, कुँवारी मरियम की मनःस्थिति की दो महत्वपूर्ण बातें स्पष्ट होती हैं जो ख्रीस्त जयन्ती की तैयारी में हमारे लिए उत्तम उदाहरण हैं।″

पहला, उनका विश्वास। विश्वास की भावना में वह ईशवचन को पूरे मन और हृदय से सुनती तथा दूत को जवाब देते हुए कहती है, ″देखिये, मैं प्रभु की दासी हूँ आपका कथन मुझ में पूरा हो जाए।″ (पद.38) अपने इस कथन ‘मैं प्रभु की दासी हूँ’ में उनका पूर्ण विश्वास प्रकट होता है। यद्यपि वह भविष्य की कठिनाईयों और चुनौतियों से बिलकुल अनभिज्ञ थी तथापि वह समझती है कि ईश्वर ने ही उस से इस बात की मांग की है और वह प्रभु पर पूर्ण भरोसा रखती है।

दूसरा पहलू है, ख्रीस्त की माता द्वारा ईश्वर के समय की पहचान करना। माता मरिया ही ने ईश पुत्र के शरीर धारण को सम्भव बनाया। जैसे प्रेरित संत पौलुस कहते हैं "शताब्दियों से गुप्त रखा हुआ रहस्य प्रकट किया गया।" (रोम.16꞉25) उनके साहसी एवं विनम्र ‘हाँ’ द्वारा शब्द ने शरीर धारण किया।

संत पापा ने कहा कि जब येसु हमारे जीवन में आयें उस महत्वपूर्ण समय में हम किस प्रकार शीघ्रता एवं तत्परता से उनका प्रत्युत्तर दे सकें उसकी शिक्षा मरियम हमें देती हैं।

वास्तव में, येसु के जन्म की यह घटना दो हज़ार वर्षों पूर्व बेतलेहेम में घटित हुई थी किन्तु आज की धर्मविधि आध्यात्मिक रूप से इसे प्रस्तुत कर रही है। ‘शब्द’ जिसने माता मरिया के गर्भ में स्थान पाया था, ख्रीस्त जयन्ती के समय प्रत्येक ख्रीस्तीय के पास आकर उनके हृदय पर दस्तक दे रहा है। अतः हम प्रत्येक को ईश्वर की दया और प्यार पर, मरिया के समान भरोसा रखकर व्यक्तिगत रूप से एवं उदारता पूर्वक उन्हें ‘हाँ’ कह कर प्रत्युत्तर देना है। कितनी बार येसु खुद हमारे जीवन में आते हैं तथा कितनी बार वे अपने दूत को हमारे पास भेजते हैं पर कई बार हमें मालूम ही नहीं पड़ता क्योंकि हम अपने धंधों में अत्यधिक व्यस्त रहते हैं विशेषकर, इन दिनों जब हम ख्रीस्त जयन्ती की तैयारी में लगे हैं। मरियम के समान प्रत्युत्तर की आस में, वे हमारे पास आते तथा हमारे द्वार पर दस्तक देते किन्तु हम सुन नहीं पाते। किसी संत ने कहा है, ″मुझे भय है क्योंकि प्रभु आते हैं।″ संत पापा ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि संत क्यों भयभीत है। उन्हें डर इस बात की है कि कहीं प्रभु उसके पास आयें और सचेत न होने के कारण वे उनका स्वागत न कर पायें।

जब हमारे हृदय में भले कार्य करने की चाह उत्पन्न होती तथा अपनी गलतियों के प्रति पश्चाताप की भावना उठती है तो इसका अर्थ है कि प्रभु हमें दस्तक दे रहे हैं। भला बनने की चाह प्रभु उत्पन्न करते हैं, वे हम में ईश्वर के करीब रहने की इच्छा जागृत करते हैं।

संत पापा ने कहा, ″यदि आपको इस प्रकार का एहसास हो रहा हो तो आप रुक जाए क्योंकि वहाँ प्रभु उपस्थित हैं। हम प्रार्थना करें तथा अपने आपको शुद्ध करने हेतु मेल-मिलाप के संस्कार की तैयारी करें। संत पापा ने कहा कि यह सर्वोत्तम है किन्तु सावधान यदि आप अपने में सुधार की आवना महसूस कर रहे हों तो यह प्रभु का दस्तक है आप इसे यों ही जाने न दें।

संत पापा ने कहा, ″ख्रीस्त जयन्ती के रहस्य में कुँवारी मरियम के साथ संत जोसेफ भी मौन रूप से उपस्थित हैं जिस प्रकार उन्हें चरनी में दर्शाया जाता है। कुँवारी मरियम तथा संत जोसेफ का उदाहरण हमें निमंत्रण दे रहा है कि हम पूर्ण उदारता से येसु को स्वीकार करें जो हमारे प्रेम के खातिर हमारे भाई बने। वे संसार में शांति लेकर आये जैसा कि दूतों के समूह ने चरवाहों के लिए गाया ″पृथ्वी पर भले लोगों को शांति।″ (लूक. 2꞉14)

संत पापा ने कहा कि क्रिसमस का बहुमूल्य उपहार है शांति। ख्रीस्त हमारी सच्ची शांति हैं और वे हमें शांति प्रदान करने के लिए हमारे हृदयों में दस्तक दे रहे हैं। हम उनके लिए अपना हृदय द्वार खोलें।
हम माता-मरिया एवं संत योसेफ की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि सभी सांसारिक माया मोह के बंधन से मुक्त होकर प्रभु का स्वागत करते हुए, सच्चे हृदय से ख्रीस्त जयन्ती मना सकें।
इतना करना के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना का उपरांत उन्होंने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्याटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने सभी से आग्रह किया कि क्रिसमस द्वारा प्रभु उनके पास से गुजर रहे हैं उन्हें हम यो ही जाने न दें।

अंत में संत पापा ने शुभ रविवार तथा आनन्दमय एवं भाईचारापूर्ण ख्रीस्त जयन्ती की मंगलकामनाएँ अर्पित की।









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