वाटिकन सिटी, बुधवार 17 दिसंबर, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया। उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में
अगले वर्ष परिवार की बुलाहट और मिशन विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए हम
परिवार पर ही चिन्तन करें।
यह आगमन काल एक ऐसा पुण्य काल है जब हम उस रहस्य पर
चिन्तन करते हैं जिसके द्वारा ईश्वर ने परिवार के वरदान की पुष्टि करते हुए येसु को इस
धरा में भेजा।
ईशपुत्र ने एक मानव परिवार में जन्म लेना स्वीकार किया वो भी एक
ऐसे कस्बे में जो रोम साम्राज्य के लिये कोई ख़ास महत्व का नहीं था।
वैसे सुसमाचार
हमें येसु के आरंभिक 30 वर्षों के बारे में बहुत कम जानकारी देते हैं पर हम सहज ही इस
बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि येसु को आम पारिवारिक जीवन का वैसा ही अनुभव हुआ जैसा
एक व्यक्ति को होता है।
येसु का भरण-पोषण एक पवित्र परिवार में हुआ जहाँ उन्होंने
मरिया और जोसेफ के भले उदाहरण से धार्मिक बातों को सीखा और प्रज्ञा उम्र और ईश्वरीय कृपा
में बढ़ता रहा।
इसी पवित्र परिवार का अनुसरण करते हुए प्रत्येक ख्रीस्तीय परिवार
को चाहिये कि वह भी येसु के लिये अपने परिवार में एक स्थान बनाये। ऐसा इसलिये क्योंकि
ऐसे ही आम परिवार से ईशपुत्र हमारे लिया भेजा गया, जो हमारे साथ रहा और पूरी दुनिया का
मुक्तिदाता बना।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने
भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने,
दक्षिण कोरिया फिनलैंड, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड.
फिनलैंड, जापान, उगान्डा, कतार, मॉल्टा, डेनमार्क , कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग,
अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को
विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।