2014-12-13 12:08:19

प्रेरक मोतीः सन्त लूसिया (चौथी शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 13 दिसम्बर सन् 2014:

13 दिसम्बर को काथलिक कलीसिया सन्त लूसिया का पर्व मनाती है। ईसा मसीह के बाद सन् 304 ई. के दौरान दियोक्लेशियन राजाओं के शासनकाल में ख्रीस्तीय धर्म के अनुयायियों को घोर उत्पीड़न सहना पड़ा। सिराकूज़ की लूसी को भी उत्पीड़ित कर मार डाला गया। लूसी एक साहसी महिला थी जिन्होंने अत्याचारों की परवाह न कर निर्भिकता के साथ प्रभु येसु एवं उनके सुसमाचार का प्रचार किया। ख्रीस्तीय विश्वास के ख़ातिर उन्हें कड़ी यातनाएं दी गईं यहाँ तक कि आततायियों ने लूसी की आँखें निकलवा डाली तथा उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इसी कारण उन्हें नेत्रहीन लोगों की संरक्षिका घोषित किया गया है। लूसी का अर्थ होता है प्रकाश और यह प्रकाश लूसी की शहादत के बाद इटली, सम्पूर्ण रोम तथा यूरोप में फैला और अनेक ग़ैरविश्वासियों के लिये ख्रीस्तीय धर्म के आलिंगन का कारण बना। सिराकूज़ की सन्त लूसी का पर्व 13 दिसम्बर को मनाया जाता है।


चिन्तनः "धन्य हो तुम जब लोग मेरे कारण तुम्हारा अपमान करते हैं, तुम पर अत्याचार करते हैं और तरह-तरह के झूठे दोष लगाते हैं। खुश हो और आनन्द मनाओ स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। तुम्हारे पहले के नबियों पर भी उन्होंने इसी तरह अत्याचार किया" (सन्त मत्ती 5:11-12)।








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